सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कुछ अनोखा, कुछ रोमांचक...




भारत मेरा देश, प्यारा विविधता से भरा, विशिष्ट प्रजातियों का घर, जिन पर दुनिया भर की नज़रें रहती है. उनमे से एक प्रजाति है बड़ी और पट्टेदार बिल्ली की, जिसे हम सिंह (TIGER) कहते हैं. आज इनकी संख्या लगातार कम हो रही है. आज हमारे छत्तीसगढ़ मे, ये कितनी संख्या मे हैं ये वृहद चर्चा और विवाद का विषय है. पर हमसे कुछ हज़ार किलोमीटर दूर थाईलैंड मे जहाँ सिंह का मांस पौरुषवर्धक माना जाता है
वहां एक मठ मे इस बड़ी बिल्ली की संख्या और आचार विचार को देख कर मैं भौचक रह गया.
इस शानदार और गर्वीले जानवर को देख कर हर ताकतवर व्यक्ति इसको पालतू बनाना चाहता है, या इससे दोस्ती करने की तमन्ना रखता है. खुले जंगल मे इस बड़ी बिल्ली को देखना एक रोमांचक अनुभव होता है.
बैंकॉक के नज़दीक Wat Pa Luangta Bua Yanasampanno Forest Monastery,
जो Saiyok डिस्ट्रिक्ट, Kanchanaburi Province मे है. एक शानदार बौध मठ है. जहाँ इन बड़ी बिल्लिओं को देखना और इनके साथ खेलना बच्चों का काम है.
इस मठ को १९९९ मे ग्रामीणों ने शिकारिओं द्वारा एक घायल सिंह शावक प्रदान किया, जो कुछ समय बाद ईश्वर को प्यारा हो गया, इसके बाद घायल शावकों को मठ मे देने का परंपरा शुरू हो गयी. ये शावक धीरे धीरे बड़े होते गए और मठ के शांत वातावरण मे मनुष्यों के साथ हिल मिल गए,
१२ एकड़ के इस बौद्ध मठ मे अब इन शेरों को रखने की भी जगह नहीं बची है.
मठ अब इनके लिए नयी जगह खोज रहा है.
पर्यटन के लिए अधिक जानकारी, आपको मठ की इस वेब साईट से मिल सकती है.
http://www.tigertemple.org/Eng/
आज हमारे देश मे सिंह दुर्लभ होते जा रहे हैं सरकारे सिंह प्रजाति के संवर्धन मे करोडों रूपये खर्च कर रही है. वहीँ हमारे देश से कुछ हज़ार किलोमीटर दूर साधू संत बिना ज्यादा खर्च के इस प्रजाति का संवर्धन कर रहे हैं,
ये काबिल-ऐ- तारीफ है. आज ये मठ विदेशी पर्यटकों की पसंदीदा जगह बनती जा रही है.
अगर आप इन शानदार बिल्लिओं के साथ घूमना और खेलना चाहते हैं, तों आपको थाईलैंड जाना होगा, बोद्ध मठ के शांत और अध्यात्मिक माहौल मे ये बिल्लियाँ आपकी जांघ पर सर रख कर सो जाएँगी, आप इनके साथ आलिंगनबद्ध हो सकते है. इन्हें प्यार कर सकते है, दुलार सकते हैं.
ये आपकी जिन्दगी का सबसे रोमांचक अनुभव हो सकता है. आपका एल्द्रेनिल सर्वोच्च शिखर को छू जायेगा. तैयारी कीजिये एक रोमांच से भरे हुए सफ़र की.
अवस्थी नमित ...

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
ye jo aap log kar rhe ho iska koi matlab nai hai.....agr kch karna hai to central govt.. ke upar pressure banane se hoga state govt. k hatho me kch b nai hai.... jo aap congress k young youth bht easily kar sakte ho.... state govt. har taraf s bandhi hui rehti hai......

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारतीयता और रोमांस (आसक्त प्रेम)

प्रेम विवाह 😂 कहां है प्रेम विवाह सनातन में? कृपया बताएं... जुलाई 14, 2019 रोमांस का अंग्रेजी तर्जुमा है - A feeling of excitement and mystery of love. This is some where near to lust. The indian Love one is with liabilities, sacrifices with feeling of care & love. The word excitement and mystery has not liabilities, sacrifices with feeling of care. प्रेम का अंग्रेज़ी तर्जुमा - An intense feeling of deep affection. मैंने एक फौरी अध्यन किया भारतीय पौराणिक इतिहास का ! बड़ा अजीब लगा - समझ में नहीं आया यह है क्या ? यह बिना रोमांस की परम्परायें जीवित कैसे थी आज तक ? और आज इनके कमजोर होने और रोमांस के प्रबल होने पर भी परिवार कैसे टूट रहे हैं ? भारतीय समाज में प्रेम का अभूतपूर्व स्थान है पर रोमांस का कोई स्थान नहीं रहा ? हरण और वरण की परंपरा रही पर परिवार छोड़ कर किसी से विवाह की परंपरा नहीं रही ! हरण की हुयी स्त्री उसके परिवार की हार का सूचक थी और वरण करती हुयी स्त्री खुद अपना वर चुनती थी पर कुछ शर्तो के साथ पूरे समाज की उपस्तिथि में ! रोमांस की कुछ घटनाएं कृष्ण के पौराणिक काल में सुनने म

टार्च बेचनेवाले : श्री हरिशंकर परसाई

वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा , '' कहाँ रहे ? और यह दाढी क्यों बढा रखी है ? '' उसने जवाब दिया , '' बाहर गया था । '' दाढीवाले सवाल का उसने जवाब यह दिया कि दाढी पर हाथ फेरने लगा । मैंने कहा , '' आज तुम टार्च नहीं बेच रहे हो ? '' उसने कहा , '' वह काम बंद कर दिया । अब तो आत्मा के भीतर टार्च जल उठा है । ये ' सूरजछाप ' टार्च अब व्यर्थ मालूम होते हैं । '' मैंने कहा , '' तुम शायद संन्यास ले रहे हो । जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है , वह इसी तरह हरामखोरी पर उतर आता है । किससे दीक्षा ले आए ? '' मेरी बात से उसे पीडा हुई । उसने कहा , '' ऐसे कठोर वचन मत बोलिए । आत्मा सबकी एक है । मेरी आत्मा को चोट पहुँचाकर

सनातन का कोरोना कनेक्शन

इन पर ध्यान दें : 👇 नमस्ते छुआछूत सोला वानप्रस्थ सूतक दाह संस्कार शाकाहार समुद्र पार न करना विदेश यात्रा के बाद पूरा एक चन्द्र पक्ष गांव से बाहर रहना घर मे आने से पहले हाँथ पैर धोना बाथरूम और टॉयलेट घर के बाहर बनवाना वैदिक स्नान की विधि और इसे कब कब करने है यह परंपरा ध्यान दें, हमारे ईश्वर के स्वास्थ्य खराब होने पर उनकी परिचर्या #यह वे चीज़े हैं जो मुझे याद आ रहीं हैं। आप बुजुर्गो से पूछेंगे तो और भी चीजे आपको मिलेंगी। यह हम भूल चुके हैं क्योंकि एन्टी बायोटिक, साबुन, और सेनिटाइजर बाजार में आ गए और औद्योगिक क्रांति को  मानवीय संसाधनों की जरूरत थी। आज हमें फिर वही परम्पराए नाम बदल बदल कर याद दिलाई जा रहीं है। #सोशल_डिस्टेंसिंग #क्लींलिनेस बुजुर्गो की कम इम्युनिटी आदि आदि। वानप्रस्थ आश्रम का उद्देश्य ही यह था कि वायरस बुजुर्गो पर जल्द प्रश्रय पा जाता है, फिर मजबूत होकर जवानों पर हमला करता है, इसलिए कमजोर इम्युनिटी के लोगो को वन भेज दिया जाता था।। निष्कर्ष : आना दुनिया को वहीं है जहां से हम चले थे। यही सनातन है। यह प्रकृति का संविधान है। #स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज