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निवेदन

भारतीय राजनीती भारतीय राजनीती के बारे में बहुत कुछ लिखा एवं पढ़ गया है. विभिन्न विचारको ने, मूर्धन्य पंडितों ने इस पर अपने अपने विचार दिए हैं. मेरे जैसा अल्पज्ञानी और अल्प राजनैतिक व्यक्ति (अल्प राजनैतिक इसलिए कि मुझे आज तक किसी राजनैतिक पद ने वरन नही किया है) इस पर कुछ लिखना चाहता है, अगर मेरी कुछ टिप्पनियाँ किसी को चोट पहुंचती है तो कृपया मुझे अभय दान दे जिस से में बेबाक लेखन कर सकूं. आपका अपना ही अवस्थी.एस

बिहेवियरल इकोनॉमिक्स

*बिहेवियरल इकोनॉमिक्स, जिसके लिए इस वर्ष रिचर्ड एच थेलर को नोबेल पुरस्कार मिला है, बड़ी दिलचस्प चीज़ है.* इसकी ब्रीफिंग पेश है पैसों के मामले में लोग सिर्फ दिमाग से फैसले नहीं लेते. अक्सर इंसानी जज्बात दिमाग पर हावी हो जाते हैं , इसलिए *आर्थिक मामलों को समझने के लिए अर्थशास्त्र के साथ मनोविज्ञान को समझने की भी जरूरत है.* यही बिहेवियरल इकोनॉमिक्स कहलाता है. पैसे के साथ इंसान का रिश्ता उलझा हुआ है.  लालच, भविष्य का डर और खर्च करने से पैदा होने वाला अपराध बोध ऐसे जज्बात हैं जो इस उलझन को और बढ़ाते हैं. *बिहेवियरल इकोनॉमिक्स के जरिए हम पैसे से जुड़ी आदतों को समझने की कोशिश करते हैं* इनमे से कुछ आदतों के बारे में आप भी जानिए  1. *'पेन ऑफ  पेइंग'* विद्वान मानते हैं कि पैसे को जब हम अपनी जेब से जुदा करते हैं, तो हमें  तकलीफ होती है,यह तकलीफ तब ज्यादा होती है ,जब हम नोटों की शक्ल में पैसा दे रहे हों. क्रेडिट कार्ड या उधार माल खरीदते वक्त यह तकलीफ कम हो जाती है. यही कारण है किस्तों में उधार सामान खरीदते या क्रेडिट कार्ड के जरिए खर्च करते  वक्त लोग कई बार गैर जरूरी चीजें खरीद लेत

ब्राह्मणत्व के खिलाफ वामपंथी षड्यन्त्र

वामपंथीयो ने ऐसा इतिहास बदला कि सबकी मति पर पर्दा पड़ गया । ब्राह्मण सिर्फ पूजा पाठ करते थे। तो मंगल पांडेय कौन थे, चंद्र शेखर आज़ाद कौन थे? ब्राह्मण भीख मांग के खाते थे तो पेशवा कौन थे? शूद्र जातियों का दमन होता था तो रानी दुर्गावती राजा मदन और गौंड राजा कौन थे? दलित ज्ञान से वंचित रखे जाते थे तो रैदास और घासी दास कैसे ज्ञानी और सम्मानीय हुए? मुझे लगता है यह ऐसी कर्माधारित व्यवस्था थी जिसे अगर कोई चाहे,  तो छोड़कर अपनी योग्यता के आधार पर दूसरी व्यवस्था में जा सकता था। ऐसा ही था जो बाजीराव क्षत्रियों का काम कर रहे थे । महिलाओं के शोषण के आरोप हिन्दू समाज पर लगाए जाते हैं, वामपंथी इसके लिए महिला सशक्तिकरण के आंदोलन चलाते हैं। पर जब मैं इतिहास पढ़ता हूँ तो मुझे कृष्ण की पत्नी रुक्मणि दिखती है, सीता का स्वयंवर दिखता है, माता सति का भगवान शंकर के लिए अपने पिता के खिलाफ किया आत्मदाह दिखता है। वामपंथी कहते हैं हम ब्राह्मण असहिष्णु थे,  तो कैसे इसी व्यवस्था से,  गुरुनानक देव जी ने नया धर्म खड़ा किया और इसी व्यवस्था से जैन और बौद्ध बने, इसी व्यवस्था ने पारसियों, मुसलमानों और ईसाइयों को देश में रहने