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अनिवार्य मतदान है लोकशक्ति का शंखनाद : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

गुजरात विधानसभा ने अनिवार्य मतदान का विधेयक क्या पास किया, सारे देश में हंगामा मच रहा है| सारे देश से इस विधेयक का कोई संबंध नहीं है| यह सिर्फ गुजरात के लिए है| वह भी स्थानीय चुनावों के लिए ! विधानसभा और लोकसभा के चुनाव तो जैसे अब तक होते हैं, वैसे ही होते रहेंगे| यदि उनमें कोई मतदान न करना चाहे तो न करे| सारे देश में अनिवार्य मतदान लागू करना तब तक संभव नहीं है जब तक कि लोकसभा संसद उसकी अनुमति न दे| फिर भी सारे देश में प्रकंप क्यों हो रहा है ? शायद इसलिए कि इस क्रांतिकारी पहल का श्रेय नरेंद्र मोदी को न मिल जाए| यह पहल इतनी अच्छी है कि इसके विरोध में कोई तर्क ज़रा भी नहीं टिक सकता| आज नही तो कल, सभी दलों को इस पहल का स्वागत करना होगा, क्योंकि भारतीय लोकतंत्र् में यह नई जान फूंक सकती है| अब तक दुनिया के 32 देशों में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था है लेकिन यही व्यवस्था अगर भारत में लागू हो गई तो उसकी बात ही कुछ और है| यदि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र् में मतदान करना अनिवार्य हो गया तो अमेरिका और बि्रटेन जैसे पुराने और संशक्त लोकतंत्र को भी भारत का अनुसरण करना पड़ सकता है, हालांकि भार