अगर इस चिंतन को समझना है तो पोस्ट पूरी पढ़ें और नीचे दिया वीडियो देखें।। यह हर #सनातनी का दर्द है, हम कहीं पार्टी से बंधे होते हैं कहीं संगठन से - हम अपनी #विचारधारा और आइडियाज को वर्षो उन लोगों के संरक्षण में पालते पोसते हैं जो हमारे आदरणीय हैं और यकायक हम एक दिन पाते हैं कि हमारे आदरणीय संरक्षक और #आदर्श एकदम हमारी पाली पोसी विचारधारा से उलट विचार व्यक्त कर रहे हैं या कार्य कर रहे हैं। तो हमे #खीज होती है, खीज #मतबल बेचैनी, असहाय होने का भाव, ऐसा गुस्सा जो फट पड़ना चाहता है पर वह निकल नहीं पा रहा।। यह बहुत अजीब मानवीय भाव है, इस भाव के परिणाम की भविष्यवाणी करना अत्यंत कठिन है, पर यह तय है कि इस भाव के पैदा होने से काफी नुकसान होता है, कुछ लोग #विद्रोही हो जाते हैं और कुछ #निष्क्रिय।। और यहीं वह पेंच है जहां #अटलजी भी फंसे थे और आज मोदी भी फंसे हैं।। विदेशी दबाव, #विधर्मी दबाव ने पाकिस्तान की यात्रा करवाई, रामालय ट्रस्ट पर काम करने मजबूर किया। यह स्वर्गीय अटल जी पर आरोप नहीं है, मैं समझता हूं और जानता हूं उनके मन में भी यह सब करते समय वही मजबूरी भरी खीज थी जो मैने ऊपर बताई है आज उसी
#बौद्धिक संक्रमण से परेशान सत्ता, संगठन, #धर्म और #प्रजा के सामने एक बड़ा छोटा सा विषय है जिसे बंद कमरे में सुलझाना अत्यंत आवश्यक है!! इसके बाद जून 24 से इससे बड़ी समस्या पर संज्ञान लेना होगा जो गिरते #वैश्विक चरित्र और बढ़ती #औपनिवेशिक सोच के कारण है। खैर : Narendra Modi जी MYogiAdityanath जी, Friends of RSS शंकराचार्य अनुशासन #गुरु_परंपरा सारे #आचार्य #महामंडलेश्वर हमारे समाज सेवी संगठन (जिन्हें हम #सनातन का पक्षधर मानते हैं) एक साथ बैठ जाएं एक बार चिंतन करें कि यह हो क्या रहा है और क्यों हो रहा है? क्या किसी ने गलती की है, अगर की है तो उसका भोगवान कौन है? क्या यह गलती किसी नई परंपरा, #पंथ या मत को जन्म दे रही है? चिंतन आवश्यक है कि जातिवाद, #वर्ण_व्यवस्था, #मैकाले की शिक्षा, #गुरुकुल परंपरा, धार्मिक आदर्श, #महिला_सशक्तिकरण, कुटुंब, समाज में धन का असमान वितरण, हमारी सांस्कृतिक धार्मिक और सामाजिक जीवन जीने की पद्धति और नियम, शास्त्रोक्त ज्ञान, भोजन, जन उत्सव, वस्त्र विन्यास, रिश्ते, पारिवारिक #मर्यादाएं, सामाजिक मर्यादाएं और वैश्विक मजबूरियों (जो #संयुक्तराष्ट्र और #कॉमन_वेल्थ के कार