गंगा नदी सदियों से श्रद्धा, रहस्य, और चमत्कारों से घिरी है। लोग अक्सर इसके पवित्र जल को सामान्य समझ से समझने की कोशिश करते हैं, लेकिन इसकी शाश्वत शुद्धता को जानने के लिए विज्ञान, आध्यात्मिकता, और सनातन ज्ञान के साथ गहराई से जुड़ना होगा। आज, एआई जैसे उपकरणों की मदद से हम और गहन प्रश्न पूछ सकते हैं: गंगा के जल को स्वच्छ रखने वाले विशेष जीवाणु कौन से हैं? यह जल अन्य नदियों की तुलना में अधिक समय तक पीने योग्य क्यों रहता है? ये सुपरहीरो जीवाणु अन्य स्थानों पर क्यों नहीं मिलते? इन प्रश्नों के उत्तर सामान्य तर्क से परे हैं और एक ऐसी सच्चाई उजागर करते हैं जो आधुनिक पूर्वाग्रहों के पीछे छिपी रह जाती है। औपनिवेशिक मानसिकता का अंधकार गंगा के लिए वास्तविक खतरा उसमें स्नान करने वाले करोड़ों लोग नहीं, बल्कि वह सोच है जो भारतीय ज्ञान को नकारकर पश्चिमी व्यावसायिक प्रचारों को अंधविश्वास से मान लेती है। विडंबना यह है: लोग टॉयलेट क्लीनर के समान अम्लता वाले पेय पदार्थों को विज्ञापनों के कारण पी लेते हैं, पर गंगा की पवित्रता पर संदेह कर...
अगर इस चिंतन को समझना है तो पोस्ट पूरी पढ़ें और नीचे दिया वीडियो देखें।। यह हर #सनातनी का दर्द है, हम कहीं पार्टी से बंधे होते हैं कहीं संगठन से - हम अपनी #विचारधारा और आइडियाज को वर्षो उन लोगों के संरक्षण में पालते पोसते हैं जो हमारे आदरणीय हैं और यकायक हम एक दिन पाते हैं कि हमारे आदरणीय संरक्षक और #आदर्श एकदम हमारी पाली पोसी विचारधारा से उलट विचार व्यक्त कर रहे हैं या कार्य कर रहे हैं। तो हमे #खीज होती है, खीज #मतबल बेचैनी, असहाय होने का भाव, ऐसा गुस्सा जो फट पड़ना चाहता है पर वह निकल नहीं पा रहा।। यह बहुत अजीब मानवीय भाव है, इस भाव के परिणाम की भविष्यवाणी करना अत्यंत कठिन है, पर यह तय है कि इस भाव के पैदा होने से काफी नुकसान होता है, कुछ लोग #विद्रोही हो जाते हैं और कुछ #निष्क्रिय।। और यहीं वह पेंच है जहां #अटलजी भी फंसे थे और आज मोदी भी फंसे हैं।। विदेशी दबाव, #विधर्मी दबाव ने पाकिस्तान की यात्रा करवाई, रामालय ट्रस्ट पर काम करने मजबूर किया। यह स्वर्गीय अटल जी पर आरोप नहीं है, मैं समझता हूं और जानता हूं उनके मन में भी यह सब करते समय वही मजबूरी भरी खीज थी जो मैने ऊपर बताई ...