मैं संघी - कांग्रेसी - आरक्षण विरोधी - आरक्षण के पक्षधर - समाजवादी - बीजेपी और आर टी आई एक्टिविस्ट्स के साथ रहा और उनको समझने की भरपूर कोशिश की !! अलग अलग विचार धाराओं को जानने समझने के प्रयास में सिर्फ एक चीज़ समझ पाया कि सत्ता के गलियारों तक पहुँचने के लिए जो रास्ते जाते हैं ; उन पर आने वाला हर गतिरोध आपका दुश्मन है और हर घाट आपका मित्र - मित्र इसलिए क्योंकि वो गंतव्य तक पहुँचाने वाली आपकी गति में वृद्धि करता है !! पर वर्त्तमान राजनीती में परंपरागत गतिरोध और घाट बदल गए हैं - पहले ये महगाई, गरीबी, शिक्षा, सीमा की सुरक्षा और सिंचाई के साधन होते थे !! अब ये साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार पर आ कर थम गए हैं !! लगता नहीं की थर्ड फ्रंट, कांग्रेस और कम्युनिस्ट इन पुराने मापदंडों पर यकीन करते हैं !! बीजेपी शायद इन पुराने मापदंडों पर अभी भी विश्वास करती है इसलिए गुजरात का विकास मॉडल - सरदार पटेल की मूर्ति के साथ साथ नए मुद्दे जैसे भ्रस्टाचार और गुजरात में गोधरा के बाद की शांति का भी जिक्र करती है !! ये समझ में नहीं आता कि १२५ साल पुराणी कांग्रेस और उसके साथ जुडी थर्ड फ्रंट के घाघ