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ज्योतिर्लिंग और कानून : परंपरा, औषधि और आधुनिक द्वंद्व

  🔹 प्रस्तावना क्या आप जानते हैं — भारत के कितने #ज्योतिर्लिंगों में कानूनी रूप से #भांग चढ़ाना प्रतिबंधित है? और क्या आपने कभी सोचा कि हम #भांग, #विजया, या #हेंप जैसे शब्दों से डरते क्यों हैं? क्या यह केवल नशा है — या हमारी #आयुर्वेदिक विरासत और #सनातनी ज्ञान परंपरा का अभिन्न अंग? 🕉️ भांग परंपरा में — हमारे शास्त्र क्या कहते हैं हमारे #हिंदू पूर्वजों ने ‘भांग’ को केवल एक पौधा नहीं, बल्कि एक दैवीय औषधि माना। परंतु, पश्चिमी “विकसित” देशों ने 20वीं शताब्दी में ऐसे अंतरराष्ट्रीय कानून बनाए, जिनसे इन पौधों को “नशा” घोषित कर दिया गया — और इस प्रक्रिया में करोड़ों लोग कानून की आड़ में जेलों या फाँसी पर चढ़ा दिए गए। यह एक ऐसा नरसंहार था, जो #हिटलर से भी बड़ा था — और दुख की बात यह है कि आज भी यह जारी है। ⚖️ Single Narcotic Convention, 1961 – और पौधों का अपराधीकरण संयुक्त राष्ट्र के Single Narcotic Convention (1961) के बाद, विश्वभर में हर उस पौधे को “निषिद्ध” घोषित किया गया, जो #आयुर्वेद, #सिद्ध, #यूनानी या #प्राकृतिक चिकित्सा में उपयोगी था। अब सवाल उठता है — क्या यह विज्ञान था, या हमारी ...