क्या कभी हम अपने गिरहबान में झांकेंगे? सनातन : धर्म की व्याख्या है, धार्यति इति धर्म: मतलब जो धारण किया जाए वह धर्म। तो हम धारण करते है, आचार, विचार और व्यवहार। हम उसे बनाते हैं जीवन जीने का तरीका। और इस तरीको को जितना व्यवस्थित, व्यवहारिक, वैज्ञानिक और जनोन्मुखी सनातन धर्म ने बनाया, उतना किसी धर्म ने नहीं बनाया, जितना पुराना यह धर्म है उतना कोई नहीं। लोगों ने #रामायण पढ़ी #गीता पढ़ी, यह कुछ सौ या कुछ हजार साल पहले लिखी गयी। आप वेद पढ़िए, आप उपनिषद पढ़िए। आपको समझ आएगा कि एक व्यवस्थित समाज, दोषमुक्त समाज इन्ही वैदिक नियमो से निकल सकता है। इन नियमो से जीवन इतना सरल हो सकता है कि सामान्य व्यक्ति सोच भी नहीं सकता। इन नियमो में इतने फिल्टर हैं कि अपराध की हिम्मत जुटाना ही मुश्किल हो जाता है। आप सोचें, अधिकारी के द्वारा किये गए गबन के लिए जो सजा होगी उससे 8 गुनी कम सज़ा सामान्य आदमी को होगी। यह अद्भुत नियम है। जो सबसे आसानी से गबन कर सके उसे सबसे कड़ी सजा और जिसके पास गबन करने के अवसर कम उसे सबसे कम सज़ा। जीवन के लिए जरूरी चीजों को नष्ट करने, समाजानुकूल कार्य न करने की सज़ा, समाज द्वार