#हथौड़ा_पोस्ट
2011 - भ्रष्टाचार पर चर्चा शुरू।
2012 - गुजरात दंगों पर चर्चा, मोदी हत्यारा, खून का दलाल।
2013 - करन थापर का इंटरव्यू - मोदी ने मुसलमानों को कुत्ता बोला ।
2014 - सब प्रदेशो में कांग्रेस सरकार है, मोदी क्या भूटान या नेपाल से प्रधानमंत्री बनेगा।
मोदी को AICC में चाय बेचने की जगह दूंगा - मणि शंकर
2014 - मोदी प्रधानमंत्री बने।
2015 - अखलाख, जे एन यू और न जाने कितने मामले।
गाय का अपमान, अपराधी अखलाख को फ्लैट और पैसे।
2016 - हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश ठाकोर।
नक्सल समस्या
2017 - गुजरात मे बवाल - कश्मीर समस्या, राहुल की हिन्दू धर्म मे घर वापसी, #मन्दिर_भ्रमण_शुरू।
कैराना ।
2018 - भीमा कोरेगांव, भीम आर्मी।
Sc St एक्ट, राम मंदिर, सुप्रीम कोर्ट जज विवाद।
2014 से 2018 के बीच 3 तलाक से लेकर सवर्ण आरक्षण तक।
वेमुला से लेकर गौकशी तक, जगहों के नाम बदलने से लेकर शबरीमला तक जितनी बातो को कांग्रेस चर्चा में लायी हर बात में उसने मुंह की खाई।
#बीजेपी का फायदा ही चर्चा और विरोध में है।
और राष्ट्रहित के लिए #हमारा_फायदा उन चर्चाओं को याद रखने और लोगो को याद दिलाने में है।
2019 - पुलवामा पर भी भसड़ मचा कर देख लो जानी 😂
#कांग्रेस सिर्फ मुसलमानों, वामपंथी और क्षेत्रीय पार्टियों को निपटाने के लिए ही 5 सालो से लगी है।
उसे मालूम है कि द्विपक्षीय राजनीति में ही उसका खोटा सिक्का चलेगा।
इसलिए केजरी हो या माया ममता, कांग्रेस सबसे दूर है।
गांधियों के पास पैसा है, वह सोचती है 5 साल और इन 5 राज्यो से खर्चा चल जाए फिर 2024 में अगर जनता मोदी से ऊब गयी तो हम फिर सत्ता में आएंगे।
अगर 2024 में न आये तो 2029 तो पक्का ही है।
तब तक ये क्षेत्रीय पार्टियां खत्म हो जाएंगी।
और कांग्रेस और बीजेपी ही दौड़ में रहेंगी।
यह भी #सही_सोच है। 😂
अब देखिए, नेहरू के जमाने से वाम पंथियों से फंसी कांग्रेस अब वामपंथ और नेहरूवियन सोच से मुक्त हो रही है।
#अल्पसंख्यक प्रेम से चोट खाई कांग्रेस अब हर वह काम कर रही है जिससे #मुस्लिम डरा हुआ महसूस करे और क्षेत्रीय दलों का विकल्प उसके पास न हो और वह कांग्रेस के साथ खड़ा हो। 😂
#हिन्दू_आतंकवाद की झूठी अवधारणा गढ़ने से जो मुसलमान #कांग्रेस के साथ न आया अब वह कांग्रेस का मुंह ताक रहा है।
#वामपंथ अब Ravish Kumar सा कमजोर हो गया है।
फारुख और मेहबूबा अब समाप्ति की ओर हैं।
माया, सपा और ममता ज्यादा समय संघर्ष न कर पाएंगे, #लालू कांग्रेस द्वारा जेल पहुंचा दिए गए हैं।
शरद की उम्र हो चली है।
जयललिता रहीं नहीं, शशिकला जेल में हैं।
चश्मे वाले नेता जी अब कितना जियेंगे।
केजरी की राजनैतिक हत्या कांग्रेस ने गठबंधन न कर के कर दी है।
अब बचा क्या?
आंध्र, तेलंगाना, कर्नाटक और उड़ीसा बचेगा शायद, पर इन राज्यो का संख्याबल है ही कितना जो कांग्रेस के लिए मायने रखे?
#मोदी का सही उपयोग #कांग्रेस ने करने का सोचा था पर मोदी ने नेशनल हेराल्ड में गांधियों को फंसा दिया।
बस प्रियंका बची हैं इस #मोदी_मार से, इसलिए दीदी भैया के साथ हैं अन्यथा इनका सीताराम तय था। 😂
कांग्रेस यही करती आई है1989 में जब #VP_Singh को सरकार सौंपी तो खजाना खाली था।
1998 में #अटल_जी को खाली खजाना दिया और 2004 में भरा खजाना पाया।
2014 में खाली खजाना दिया और जब मोदी इसे छोड़ेंगे तो खजाना भरा होगा।
इसमे कोई दोमत नहीं कि कांग्रेस की चाले शानदार होती हैं।
पर कांग्रेस की इन चलो से वामपंथ और समाज वाद की लंका लग गयी और मुसलमानों को कांग्रेस ने विकट परिस्तिथि में डाल दिया।
इस्लाम पर हुई सारी चर्चाओं में कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने जो TV डिबेट किये उसमे #इस्लाम जम के बदनाम हुआ और समाज मे जो खाई बनी उससे मुसलमानों का बड़ा नुकसान हुआ।
आज भी सबसे ज्यादा मुखर कांग्रेसी मुस्लिम यूथ ही है, और इसी मुस्लिम युवा के प्रश्नों से सनातनी युवा इस्लाम की दबी छुपी बातों को और कमजोरियों को जान पाए और संगठित हुए।
अब अगर 80% हिन्दुओ में से 25% भी संगठित हो गए तो वे 18% मुसलमानों से ज्यादा वोट काउंट रखेंगे 😂
मतलब, वामपंथ, समाजवाद, क्षेत्रीय पार्टीयां और मुस्लिम कांग्रेस की इस #राहुल_प्रियंका नामक पीढ़ी की भेंट चढ़ा दिए गए।
सच यह #नहीं कि कांग्रेस खत्म हो रही है बल्कि सच यह है कि कांग्रेस #हाईबरनेशन में है और #खत्म #वामपंथ #समाजवाद और #क्षेत्रीय_पार्टियां हो रही हैं।😂 🙏
अलख निरंजन
#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज
The narrative of entrepreneurial success has long been dominated by the image of the solitary innovator, the corporate titan forging an empire from sheer will and ingenuity. This "individual entrepreneurship" model, while undeniably powerful, has also contributed to a landscape of economic disparity and environmental strain. However, a quiet revolution is underway, a resurgence of collective entrepreneurship, embodied by cooperative models, that offers a compelling alternative for the 21st century. We've become accustomed to celebrating the titans of industry, the visionaries who build vast corporations, generating wealth and, ostensibly, jobs. Governments and systems often glorify these figures, their achievements held up as the pinnacle of economic success. Yet, a closer examination reveals a complex reality. The industrialization that fueled the rise of corporate entrepreneurship has also created a system where a select few can amass immense wealth by harne...
टिप्पणियाँ