आज नाना के घर से गांधी पर पुरानी पोस्ट शेयर कर रहा हूँ, मज़े लें और खोपड़ी खुजाएँ 😂😂😂 थक सा गया हूँ गाँधी पर इतनी बातें सुनकर - गाँधी मुझे पसंद हैं - शायद गोडसे से थोड़े ज्यादा सावरकर से कम और नेता जी से बहुत कम - पर कष्ट तब होता है जब गाँधी को ही लोग सब कुछ मान के पूजने लगते हैं. हर व्यक्ति में कुछ कमियां होती हैं पर गाँधी में कमियें थोक में थीं। मेरे को शौक है सुहाने मौसम में छोटी यात्राएं जनरल डब्बे और लम्बी यात्राएं 2nd क्लास डब्बे में करने का और इन यात्राओं में मैं अक्सर जो प्रश्न लोगों से करता हूँ और जो उत्तर पाता हूँ वह नीचे लिख रहा हूँ , आप टिपण्णी करें। मैं - भाई साहब आपका कोई पुत्र है ? सहयात्री - जी मैं - कल्पना कीजिये आप का पुत्र महात्मा गाँधी होता तो आप कैसा महसूस करते? सहयात्री- खुश होते हुए मैं राष्ट्रपिता का बाप कहलाता - 😀 मैं - आपको मालूम है गाँधी जी लंदन पढ़ने किस सन में गए थे ? सहयात्री- शायद १९०० के आस पास क्यूँ ? मैं - ऐसे ही पूछा - सोचिए आज हम अगर अपने बच्चे को लंदन पढ़ने भेजे तो कितना पैसा और समय लगेगा उसे वहां पहुँचाने में ? सहयात्री- उस समय तो हवाई जहाज भी