#वहनीयता #Sustainability कभी सस्ती नहीं थी, यह जहां जहां सस्ती थी ब्रिटिश शासन ने वहां और #सस्ता #औद्योगिक माल भेज कर उस ज्ञान को ही खत्म कर दिया जो हमें #आत्मनिर्भर बनाता था। गांव हो या शहर हर उपयोग की वस्तु हस्त या मशीन निर्मित हम खुद बनाते थे अब बिना #चिप के #कार नही बना सकते।। जूते बनाने वाले टोकरी बनाने वाले और लोहे के औजार बनाने वाले कितने बचे हैं? #सस्टेनेबिलिटी कभी सस्ती नहीं थी न ही #पर्यावरण को बचाना सस्ता है। आज पर्यावरण की महत्ता समझ आती है क्योंकि पृथ्वी चीख रही है पर #मनुष्य दिग्भ्रमित है उसे किसी भी कीमत पर उत्पादकता बढ़ना है और माल सस्ता करना है। माल सस्ता करने से आत्मनिर्भरता नहीं आती #निर्भरता बढ़ती है। बड़ी मशीनें और ऑटोमोशन जो मेहनत कम करवा रहीं हैं, वे आपकी आयु से समय कम कर रहीं हैं आपका रोजगार छीन रही हैं, अमीरी और गरीबी का अंतर बढ़ा रहीं हैं। आपको क्या लगता है, क्या ये मशीन निर्मित वस्तुएं आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं, या देश के लिए या आपकी जेब के लिए या आपके रोजगार के लिए या आपके नौनिहालों के भविष्य के लिए? #विचारिये #श्रीमान #स्वदेशी आत्मनिर...