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दिसंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Sustainability is not cheap.

#वहनीयता #Sustainability  कभी सस्ती नहीं थी, यह जहां जहां सस्ती थी ब्रिटिश शासन ने वहां और #सस्ता #औद्योगिक माल भेज कर उस ज्ञान को ही खत्म कर दिया जो हमें  #आत्मनिर्भर बनाता था। गांव हो या शहर हर उपयोग की वस्तु हस्त या मशीन निर्मित हम खुद बनाते थे अब बिना #चिप के #कार नही बना सकते।।  जूते बनाने वाले टोकरी बनाने वाले और लोहे के औजार बनाने वाले कितने बचे हैं? #सस्टेनेबिलिटी कभी सस्ती नहीं थी न ही #पर्यावरण को बचाना सस्ता है। आज पर्यावरण की महत्ता समझ आती है क्योंकि पृथ्वी चीख रही है पर #मनुष्य दिग्भ्रमित है उसे किसी भी कीमत पर उत्पादकता बढ़ना है और माल सस्ता करना है। माल सस्ता करने से आत्मनिर्भरता नहीं आती #निर्भरता बढ़ती है। बड़ी मशीनें और ऑटोमोशन जो मेहनत कम करवा रहीं हैं, वे आपकी आयु से समय कम कर रहीं हैं आपका रोजगार छीन रही हैं, अमीरी और गरीबी का अंतर बढ़ा रहीं हैं। आपको क्या लगता है, क्या ये मशीन निर्मित वस्तुएं आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं, या देश के लिए या आपकी जेब के लिए या आपके रोजगार के लिए या आपके नौनिहालों के भविष्य के लिए? #विचारिये #श्रीमान #स्वदेशी आत्मनिर...

ब्राह्मिक और अब्राहमिक मान्यताएं और पर्यावरण।।

  मेरी शुद्ध जिज्ञासा है कि #अब्राहमिक शब्द क्या #ब्रह्मिक का विरोधाभासी है? या यह शब्द #A_Brahmik है? हिंदी में - #ब्रम्हत्व से परे या #ब्रह्म से परिपूर्ण ? प्रश्न व्याकरण का है पर #भयंकर #धार्मिक है? #सनातन और #हिंदुस्तान को जितना मैंने समझा है, वह इस #ब्रह्मांड का #सार्वभौमिक #वैज्ञानिक संविधान है, जिसके पालन किए बिना पृथ्वी हमें ज्यादा बर्दाश्त नहीं करेगी। वह विद्रोह में कांप जाएगी, जल प्लावन कर देगी, अन्न और प्राणवायु हमसे छीन लेगी। क्यों #जलप्लावन से प्रलय का, हर #धर्म में वर्णन है? अब नासा कहता है की #ग्लोबल_वार्मिंग से प्रलय संभव है... ऐसा क्यों?  यह सब हम जानते हैं पर मानते नहीं? ब्रह्म का #सिद्धांत तो हम जानते हैं,  पर मानना नहीं चाहते।  हमे समझना चाहिए कि सभी जीवों में भी वही #ब्रह्म है जो हम में है। वही चेतन है जो हम में है। इसी का एक सरल रूपांतरण, #वसुधैव_कुटुंबकम् है, जबकि मुझे लगता है कि इसका सत्य रूपांतरण #शिवोहम, अहम_ब्रह्मास्मि या कण कण में शंकर की अवधारणा है। यही वह मूल सिद्धांत है जो #परमाणु_निरस्त्रीकरण, #युद्ध और #विकसित_देशों के #विकासशील_देशों...

भांग, हेम्प और शिवप्रिया पर प्रश्न

#Bhang When and why?   Is it necessary?   And if so why?   What were the reasons that #Rajiv _ Gandhi snatched the Prasad of Lord Shankar from God himself?   What were the reasons that Indian National Congress of 445 (415 + 30 UDP) members had to issue #Whip in Parliament to separate #Shivpriya from Lord Shiva?   Why #Canada and #America have made this plant unbanned?   Why does the Ministry of Ayush, Government of India give 191 licenses to make medicines on cannabis?   Is The Cannabis Market Worth $27 Billion In The US?   Is China the world's largest cannabis producer and exporter?   Is India's cannabis the best in the world?   If #India regulates and controls its #Vijaya, how much will it benefit?   Will India be able to add its name to the long list of #Patents on cannabis?   How will farmers benefit from cannabis cultivation?   #What will be the benefit to the environment?   What will be the benefit of Ayurveda? ...

वर्ण व्यवस्था, आर्य समाज और भारत

वर्ण व्यवस्था : #अद्भुत सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक व्यवस्था है। यह पर्यावरण के लिए भी उपयुक्त है और मानव के लिए भी। वर्ण व्यवस्था छिन्न भिन्न करके ही #औद्योगिकरण आया, अगर वर्ण व्यवस्था न छिन्न भिन्न हुई होती तो क्या  कोई अपना व्यापार और रोजगार छोड़ फैक्ट्रियों में #मजदूर बनता? आज 25 साल की उम्र तक पढ़ने के बाद कोई आर्किटेक्ट या इंजीनियर बनता है। वर्ण व्यवस्था में यह पढ़ाई 12 साल की उम्र में घर पर ही पिता की सोहबत में पूर्ण हो जाती थी। #डीएनए में #जातिगत ज्ञान होता था तो,  लोग जल्द सीखते थे, हर जाति को उसके जातिगत ज्ञान का सही उपयोग करने की कला उसके पिता के डीएनए से मिलती थी। बिल्कुल वैसे ही जैसा #अल्सेशियन को सूंघने की शक्ति, ग्रे हाऊंड को उसकी स्पीड, पिट बुल और रॉटविलर को उसकी रक्षण की समझ। अंग्रेजो के #औद्योगिकरण को जरूरत थी, मजदूरों की और भारत में मजदूर बिना वर्ण व्यवस्था को छिन्न भिन्न किए मिलना संभव न था। तो अंग्रेजो ने कुछ व्यवस्थाएं दी, AO ह्युम हो या दयानंद जी या सुवर खाने और शराब पीने वाले जिन्ना। इन्हे अंग्रेजो ने पैदा ही इसलिए किया क्योंकि वे वर्ण व्यवस्था और #सनात...