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ब्राह्मिक और अब्राहमिक मान्यताएं और पर्यावरण।।

 मेरी शुद्ध जिज्ञासा है कि #अब्राहमिक शब्द क्या #ब्रह्मिक का विरोधाभासी है?

या

यह शब्द #A_Brahmik है?

हिंदी में - #ब्रम्हत्व से परे या #ब्रह्म से परिपूर्ण ?

प्रश्न व्याकरण का है पर #भयंकर #धार्मिक है?

#सनातन और #हिंदुस्तान को जितना मैंने समझा है, वह इस #ब्रह्मांड का #सार्वभौमिक #वैज्ञानिक संविधान है, जिसके पालन किए बिना पृथ्वी हमें ज्यादा बर्दाश्त नहीं करेगी।

वह विद्रोह में कांप जाएगी, जल प्लावन कर देगी, अन्न और प्राणवायु हमसे छीन लेगी।

क्यों #जलप्लावन से प्रलय का, हर #धर्म में वर्णन है?

अब नासा कहता है की #ग्लोबल_वार्मिंग से प्रलय संभव है...

ऐसा क्यों?

 यह सब हम जानते हैं पर मानते नहीं?

ब्रह्म का #सिद्धांत तो हम जानते हैं, 

पर मानना नहीं चाहते। 

हमे समझना चाहिए कि सभी जीवों में भी वही #ब्रह्म है जो हम में है।

वही चेतन है जो हम में है।

इसी का एक सरल रूपांतरण, #वसुधैव_कुटुंबकम् है, जबकि मुझे लगता है कि इसका सत्य रूपांतरण #शिवोहम, अहम_ब्रह्मास्मि या कण कण में शंकर की अवधारणा है।

यही वह मूल सिद्धांत है जो #परमाणु_निरस्त्रीकरण, #युद्ध और #विकसित_देशों के #विकासशील_देशों पर हो रहे शोषण का अंत है।

यही वह सिद्धांत है जो प्रलय को कुछ समय आगे बढ़ा सकता है।

यही वह कारण है जिसके कारण सनातन और सनातन के सिद्धांत लगातार फैल रहे हैं और शिक्षित लोग इसे अपना रहे हैं।।

क्या कहीं ऐसा तो नहीं कि अब्राहमिक का अर्थ "जो ब्रह्म को न माने" जो प्रकृति द्रोही या धरती का #अबुद्धिमत्ता_पूर्ण दोहन करने वाला है?

मुझे लगता है ऐसा ही है, #अब्राहमिक देश, या #नास्तिकता से संचालित देश, #ब्राह्मिक व्यवस्था से चलने वाले देशों से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करते हैं?

#चिंतन करिए, आप ज्ञानी हैं, सिर्फ आपकी विचारधारा ही #दुनिया को नई दिशा देने में सक्षम है।

मेरा क्या है मैं तो औघड़ हूं।।

#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज

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