सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जून, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छुट्टन की पिनक

#छुट्टन_गुरु आज मूड में थे, बनारसी पेड़ा खाए थे तो दिमाग के सारे रिसेप्टर चैतन्य थे.... #लल्लन_महाराज ने झेला यह निम्न भाषण 😂 भारतीय मध्यम वर्गीय #मानसिकता के अनुसार, लोग 10 रुपए बचाने के चक्कर में बाजार का चक्कर लगाने पैदल निकल पड़ते थे, पर अब घर से नहीं निकलना चाहते। अब मानसिकता बदली है, वे कहते है महंगा तो है पर 200 का कुछ और खरीद लो, तो शिपिंग फ्री हो जायेगी और रेट ठीक हो जायेगा, यह मानसिक परिवर्तित हमे गर्त में ले जा रहा है। 😂😂😂 ऑनलाइन कंपनियों ने पिछले 15 सालो में इतनी मानसिकता तो बदली ही है।। पहले हम विदेशियों की #डंपिंग पॉलिसी का विरोध करते थे। अब #विदेशी #कंपनियां आपके घर को डंपिंग गोदाम बना रहीं हैं। पहले राष्ट्र #यूएनओ और विश्व बैंक के लालच में था, अब हम पैसे के लालच में हैं। आप जितनी दूर से सामान मंगाएंगे उतना पर्यावरण 🤨खराब होगा, जितनी पैकेजिंग करेंगे उतना पर्यावरण दूषित होगा। उत्पादन हेतु बड़े कारखाने लगवाएंगे तो पर्यावरण दूषित होगा। लालच, खरीददारी बढ़ाता है और आपकी सेविंग कम करता है। अब पैकेजिंग और ब्रांडिंग नहीं होगी तो टैक्स कहां से आएगा? सरकारें कैसे...

वैश्विक मानसिक गुलामी

#मानसिक_गुलामी 1961 में, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने दुनिया भर में भांग को नष्ट करने का फैसला किया।  इस फैसले के पीछे के कारणों के बारे में यूएन से ही पूछताछ जरूरी है।  इसके अतिरिक्त, हमें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि 50 देश, जो संयुक्त राष्ट्र के एकल मादक पदार्थ सम्मेलन का हिस्सा थे, ने अंततः समझौते को क्यों तोड़ा।  समझौता तोड़ने के बाद इन देशों के लिए क्या परिणाम हुए?   इसके अलावा, यह सवाल करना महत्वपूर्ण है कि हम अभी भी इस अनुबंध से बंधे क्यों हैं।  सरकार के सामने न केवल राष्ट्र के सर्वोत्तम हित में निर्णय लेने की चुनौती है बल्कि पिछली सरकारों के कारण पैदा हुए भ्रम से भी निपटने की चुनौती है।  वेदों में पवित्र माने जाने वाला यह पौधा ऊनो और अमेरिका के दबाव में अचानक रातों-रात संवैधानिक रूप से अपवित्र कैसे हो गया?   1985 से पहले, भांग का उपयोग सामाजिक और धार्मिक समारोहों में किया जाता था और भगवान शिव को चढ़ाया जाता था।   यह पौधा रातों-रात राक्षसी, अपवित्र और अपराधी कैसे बन  है?  यदि वास्तव में कोई साजिश थी और हमें इसका एहसास हो गया...