कभी कभी लगता है जीवन बड़ा धूर्त है और हम भोले, जैसा जीवन होता है वैसा हम उसे देख नही पाते, और जो वह समझाना चाहता है उसे हम नज़र अंदाज़ कर देते हैं। रोज़ वही प्रश्न होते हैं और वही आश्वासन । रोज़ सुबह नई आशाएं जन्म लेती है और रात में वीरगति को प्राप्त होती है और अगले दिन फिर वही आशाएँ। यह क्रम है और यह इसलिए नही टूटता क्योंकि हम कड़े प्रश्न करने से बचते हैं, हम भ्रमित रहते हैं, हम आसक्त होते हैं हम लालची होते हैं और सबसे ज्यादा आशान्वित भी। कभी हम शुतुरमुर्ग हो जाते हैं तो कहीं चीते की तरह आक्रामक पर हम व्यवस्थित और निष्पक्ष नही होते। हम भावुक हो सकते हैं हम दयावान हो सकते हैं हम निर्दयी हो सकते हैं पर निर्विकार नहीं। हम प्रेम कर सकते हैं नफरत कर सकते है पर एक ही व्यक्ति से एक ही समय मे हम नफरत और प्रेम एक साथ नही कर सकते। 2 ही तरह के विरोधाभासी लोग हमने सुने हैं, दिलेर और भीरु गुस्से वाला और शांत दिलदार और कंजूस हंसमुख और गुस्सेवाला पर क्या आपने कभी सुना कि ये दोनों विशेषताएं एक साथ किसी व्यक्ति में हों। ऐसी 100 विशेषताएं है पर क्या आपने कोई ऐसा व्यक्ति देखा है, जो एक समय में यह