सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

MYTH & Confusion: भांग

The #NDPS Act, introduced following the repeal of the longstanding British-era hemp law, granted state #governments the autonomy to govern this plant according to their preferences. While certain administrations have chosen to oversee cannabis for #recreational purposes, many state governments have refrained from either banning or regulating it. This has resulted in substantial perplexity among individuals engaged in legal enterprises, with a significant portion of their time devoted to consulting legal counsel.
The key #question lies in discerning the disparity between what the #law # dictates and our interpretation of it. Understanding the stance of #NCB regarding terms such as #THC and #CBD is paramount. Delving into the significance of THC in drug testing procedures is essential. Terms like #SATIVA and #INDICA find no mention in Ayurveda, making it a #noteworthy point. The methodology of identifying cannabis in Ayurveda carries significance. Is there an indigenous Indian approach to identifying cannabis available?
Kindly inform us if there exists any #Western #medical system that has documented even a single page on cannabis, or if there's a Western medical system where 10 officially approved cannabis-based medicines are accessible.
Is it a matter of widespread confusion, or is it more of a myth?

#Confusion, Confusion and Confusion or #Myth Myth and MYTH?
#hemp #cannabis #Vijaya #vijya

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारतीयता और रोमांस (आसक्त प्रेम)

प्रेम विवाह 😂 कहां है प्रेम विवाह सनातन में? कृपया बताएं... जुलाई 14, 2019 रोमांस का अंग्रेजी तर्जुमा है - A feeling of excitement and mystery of love. This is some where near to lust. The indian Love one is with liabilities, sacrifices with feeling of care & love. The word excitement and mystery has not liabilities, sacrifices with feeling of care. प्रेम का अंग्रेज़ी तर्जुमा - An intense feeling of deep affection. मैंने एक फौरी अध्यन किया भारतीय पौराणिक इतिहास का ! बड़ा अजीब लगा - समझ में नहीं आया यह है क्या ? यह बिना रोमांस की परम्परायें जीवित कैसे थी आज तक ? और आज इनके कमजोर होने और रोमांस के प्रबल होने पर भी परिवार कैसे टूट रहे हैं ? भारतीय समाज में प्रेम का अभूतपूर्व स्थान है पर रोमांस का कोई स्थान नहीं रहा ? हरण और वरण की परंपरा रही पर परिवार छोड़ कर किसी से विवाह की परंपरा नहीं रही ! हरण की हुयी स्त्री उसके परिवार की हार का सूचक थी और वरण करती हुयी स्त्री खुद अपना वर चुनती थी पर कुछ शर्तो के साथ पूरे समाज की उपस्तिथि में ! रोमांस की कुछ घटनाएं कृष्ण के पौराणिक काल में सुनने म

टार्च बेचनेवाले : श्री हरिशंकर परसाई

वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा , '' कहाँ रहे ? और यह दाढी क्यों बढा रखी है ? '' उसने जवाब दिया , '' बाहर गया था । '' दाढीवाले सवाल का उसने जवाब यह दिया कि दाढी पर हाथ फेरने लगा । मैंने कहा , '' आज तुम टार्च नहीं बेच रहे हो ? '' उसने कहा , '' वह काम बंद कर दिया । अब तो आत्मा के भीतर टार्च जल उठा है । ये ' सूरजछाप ' टार्च अब व्यर्थ मालूम होते हैं । '' मैंने कहा , '' तुम शायद संन्यास ले रहे हो । जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है , वह इसी तरह हरामखोरी पर उतर आता है । किससे दीक्षा ले आए ? '' मेरी बात से उसे पीडा हुई । उसने कहा , '' ऐसे कठोर वचन मत बोलिए । आत्मा सबकी एक है । मेरी आत्मा को चोट पहुँचाकर

सनातन का कोरोना कनेक्शन

इन पर ध्यान दें : 👇 नमस्ते छुआछूत सोला वानप्रस्थ सूतक दाह संस्कार शाकाहार समुद्र पार न करना विदेश यात्रा के बाद पूरा एक चन्द्र पक्ष गांव से बाहर रहना घर मे आने से पहले हाँथ पैर धोना बाथरूम और टॉयलेट घर के बाहर बनवाना वैदिक स्नान की विधि और इसे कब कब करने है यह परंपरा ध्यान दें, हमारे ईश्वर के स्वास्थ्य खराब होने पर उनकी परिचर्या #यह वे चीज़े हैं जो मुझे याद आ रहीं हैं। आप बुजुर्गो से पूछेंगे तो और भी चीजे आपको मिलेंगी। यह हम भूल चुके हैं क्योंकि एन्टी बायोटिक, साबुन, और सेनिटाइजर बाजार में आ गए और औद्योगिक क्रांति को  मानवीय संसाधनों की जरूरत थी। आज हमें फिर वही परम्पराए नाम बदल बदल कर याद दिलाई जा रहीं है। #सोशल_डिस्टेंसिंग #क्लींलिनेस बुजुर्गो की कम इम्युनिटी आदि आदि। वानप्रस्थ आश्रम का उद्देश्य ही यह था कि वायरस बुजुर्गो पर जल्द प्रश्रय पा जाता है, फिर मजबूत होकर जवानों पर हमला करता है, इसलिए कमजोर इम्युनिटी के लोगो को वन भेज दिया जाता था।। निष्कर्ष : आना दुनिया को वहीं है जहां से हम चले थे। यही सनातन है। यह प्रकृति का संविधान है। #स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज