सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

भारतीयता और रोमांस (आसक्त प्रेम)

प्रेम विवाह 😂

कहां है प्रेम विवाह सनातन में?

कृपया बताएं...

जुलाई 14, 2019

रोमांस का अंग्रेजी तर्जुमा है - A feeling of excitement and mystery of love. This is some where near to lust. The indian Love one is with liabilities, sacrifices with feeling of care & love. The word excitement and mystery has not liabilities, sacrifices with feeling of care.


प्रेम का अंग्रेज़ी तर्जुमा - An intense feeling of deep affection.


मैंने एक फौरी अध्यन किया भारतीय पौराणिक इतिहास का !

बड़ा अजीब लगा - समझ में नहीं आया यह है क्या ?

यह बिना रोमांस की परम्परायें जीवित कैसे थी आज तक ?

और आज इनके कमजोर होने और रोमांस के प्रबल होने पर भी परिवार कैसे टूट रहे हैं ?

भारतीय समाज में प्रेम का अभूतपूर्व स्थान है पर रोमांस का कोई स्थान नहीं रहा ?

हरण और वरण की परंपरा रही पर परिवार छोड़ कर किसी से विवाह की परंपरा नहीं रही !

हरण की हुयी स्त्री उसके परिवार की हार का सूचक थी और वरण करती हुयी स्त्री खुद अपना वर चुनती थी पर कुछ शर्तो के साथ पूरे समाज की उपस्तिथि में !

रोमांस की कुछ घटनाएं कृष्ण के पौराणिक काल में सुनने में आती हैं पर उन पर धर्म शास्त्रियो का विरोध भी है, पर उनमें से किसी भी घटना में कही भी विवाह का जिक्र नहीं है !

रुक्मणी हरण का जिक्र है ; मीरा के प्रेम का जिक्र है पर रोमांस का जिक्र मुझे कहीं देखने में नहीं मिला आपको यदि मिले तो अवश्य बतायें !

प्रेम, वात्सल्य का भरपूर उल्लेख है ; वचन और कर्तव्यपरायणता का भरपूर उल्लेख है !

गांधारी से ले कर सीता तक, कैकई से लेकर मंदोदरी तक के वचन का और राम से लेकर श्रवण कुमार तक, सीता से लेकर लक्ष्मण की पत्नी तक की कर्तव्यपरायणता हमें भरपूर देखने को मिलती है पर आज का रोमांस कहीं नहीं है !

शिव की पत्नी पार्वती का विवाह भी वरण ही माना जायेगा और पति के सम्मान में अग्नि स्नान कर्तव्य था!!

शिव का तांडव प्रेम है पर यह अंग्रेजों का रोमांस तो बिलकुल नहीं !!

अविवाहित कन्या का किसी को देखकर पसंद कर लेना और फिर उसे पाने में जमीन आसमान एक कर देने का उदाहरण शिव और उमा के प्रसंग में मिलता है और भीष्म पितामह का आजीवन कुंवारा रहना भी कथाओं में है !!

पर कहीं भी समाज या परिवार की अनिक्षा से पुरुष के विवाह का प्रकरण नहीं मिलता !!

१ प्रकरण मिलता है सुभद्रा का पर सुभद्रा और उनके भाई ने कृष्ण को सुभद्रा हरण के लिए मनाया था !!

पत्नी भक्ति का भी १ प्रकरण मिलता है कालजयी कवि कालिदास का - पर उसे भी तिरस्कार की नज़रो से देखा गया !! (यही १ प्रकरण रोमांस का है)

भारतीय पौराणिक कथाओं में पत्नी प्रेम के १०० उदाहरण हैं और पति प्रेम के १००० पर पूरा पौराणिक काल #आसक्त_प्रेम (रोमांस) से शून्य है !!

विशुद्ध प्रेम के उदाहरण की अगर हम बात करें तो राम का सीता से, गांधारी का कौरव राज से ; शिव का उमा से दिखायी देता है पर यह प्रेम आसक्त नहीं है यह प्रेम कर्तव्य निष्ठ है, किसी ने जंगल जाना स्वीकार किया किसी ने आँखों पर पट्टी बंधी !!

किसी ने पिता के आदेश को माना और उसकी पत्नी ने भी इसे स्वीकार किया !

#राक्षसराज रावण ने अपनी पत्नी को दिया वचन निभाया और सीता को स्पर्श भी नहीं किया !

राम ने सीता हरण के अपराधी का कुल समेत नाश किया !

लक्ष्मण ने अपनी पत्नी की मर्यादा रखी और #सूर्पनखा की नाक काट ली !

शिव ने तो पार्वती के प्रेम में श्रृष्ठि के विनाश की व्यवस्था कर दी ; जो सदैव सराहनीय है !!

कालिदास ही हुए हैं जिनके प्रेम को हम प्रेम नहीं रोमांस कह सकते हैं पर इस रोमांस के कारण उन्हें बड़ा अपयश भोगना पड़ा !!

भारतीय पुरुष प्रेम कर सकता है और करता भी है ; पर यह प्रेम कई हिस्सो में बना होता है ; यह #आसक्त हो ही नहीं सकता !

यह पिता का प्रेम भी होता है, यह माँ के लिए भी होता है यह भाई और बहन के लिए भी होता है तभी तो परिवार संगठित होता है ?

सब साथ होते हैं तो ताकत होती है समस्याओं का प्रतिहार बेहतर होता है !

और जीवन भर का साथ होता था !!


अब आते हैं आसक्त प्रेम पर - जो पश्चिम से आ रहा है जिसमे #आसक्ति है #अपेक्षाएं है पर #कर्तव्य नहीं हैं - इसमें अधिकार कोर्ट देता है - व्यवस्थाएं देता है कि आधी संपत्ति का मालिकाना हक़ और जीवन भर भरण पोषण, अधिकारों का निर्धारण कोर्ट करता है पर कर्तव्यों का निर्धारण नहीं करता?

यहीं गड़बड़ है।

इसी आसक्त प्रेम में रेखा जैसी सुंदरी की कई शादियां टूटती हैं और इसी आसक्त प्रेम में ऋतिक रोशन का तलाक़ होता है और यही आसक्त प्रेम सिल्क स्मिथा को आत्महत्या को मजबूर करता है !

इस आसक्त प्रेम से इतर समर्पित प्रेम की तलाश में सलमान कुवंरा है और आमिर इसी आसक्त प्रेम के लिए परफेक्शनिस्ट की तरह परफेक्ट लड़की की तलाश में लगे रहे जो मैडम राव के रूप में पूरी हुयी की नहीं ये वही जाने !!

अब उपसंहार यह है जिस भारतीय पुरुष के डीएनए में हमारे पूर्वजो ने रोमांस छोड़ा ही नहीं है तो वह रोमांस कर कैसे सकता है?

हमारा डीएनए तो कर्तव्यों और प्रेम से भरा है यह कैसे अधिकार और रोमांस को स्वीकार करेगा?

और जो इस आसक्त प्रेम को पाने की कोशिश करेगा उसे अगर कोई ज्यादा आकर्षण युक्त साथी प्राप्त हो तो वह क्या करे ?

रोमांस में प्रेम के समान कर्तव्य तो होते नहीं वह तो #लस्ट का रिश्तेदार है।

संवैधानिक मान्यताएं कहती हैं की हर नागरिक को अपनी पसंद से विवाह की छूट है - और विवाह विच्छेदन की भी ! (यहाँ कोर्ट एक तरह से परिवार विखंडन और अनैतिकता को बढा रहा है )

पिता की जवाबदारी पुत्र या पुत्री के लिए १८ साल है - पर इस मान्यता को कोई पुत्र/पुत्री या पिता नहीं मानता जबकि वैवाहिक कानूनों में सभी अपनी अपने स्वार्थ और सुविधा के हिसाब से इसकी विवेचना करते हैं और सभी इसके लिए कानूनन अधिकारी है और इन्ही अधिकारों के लिए लड़ते हैं ?

इसका उपचार क्या है यह हमें सोचना पड़ेगा !

संविधान की रचना के पूर्व हर पत्नी, पति और उसकी ससुराल की जवाबदारी होती थी. अब आधी अविवाहित, तलाकशुदा और विधवा स्त्रियां अपने भाई, पिता या अगले पति की जिम्मेदारियां होती हैं !

हर पुरुष की जिम्मेदारी उसका परिवार होता है ; पर अब इसमें उसकी #एक्स भी जुड़ गयी है अब रिश्ते सौदे हो गए हैं ; ज्यादा बेहतर, ज्यादा सुन्दर और ज्यादा अमीर इसकी प्रमुख आर्यहतायें हैं !

BDUTT ने शायद ३ शादिये की - पर इसकी गारण्टी नहीं की वे अंतिम समय किसके साथ काटेंगी !!

न ही आमिर का और सैफ का कोई भरोसा है !

हाँ यह भी हो सकता है की ये अपना जीवन पश्चिमी सभ्यता के हिसाब से वृधाश्रम या नौकरों के भरोसे काटें !

वृद्धाश्रम का जीवन हमारे संस्कारो में कभी न था, लेकिन अब है।।

शायद इसका कारण ही यही था कि हमारे पूर्वजों ने रोमांस नहीं किया या आसक्ति की तीव्रता के प्रभाव में आकर विवाह नहीं किये, किसी एक व्यक्ति की आसक्ति में उन्होंने परिवार #विच्छेद नहीं किया, उन्होंने परिवार के हर व्यक्ति के साथ साथ अपने परिवार के संगठन को भी महत्त्व दिया !!

जो भी था पर वह समय बेहतर था !!

यह मेरे निजी विचार हैं और संशोधन के लिए सभी के सामने पेश हैं !!

अगर असहमत हों तो कमेंट करें अगर सहमत हों तो कोई बात ही नहीं है !!


#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

टार्च बेचनेवाले : श्री हरिशंकर परसाई

वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा , '' कहाँ रहे ? और यह दाढी क्यों बढा रखी है ? '' उसने जवाब दिया , '' बाहर गया था । '' दाढीवाले सवाल का उसने जवाब यह दिया कि दाढी पर हाथ फेरने लगा । मैंने कहा , '' आज तुम टार्च नहीं बेच रहे हो ? '' उसने कहा , '' वह काम बंद कर दिया । अब तो आत्मा के भीतर टार्च जल उठा है । ये ' सूरजछाप ' टार्च अब व्यर्थ मालूम होते हैं । '' मैंने कहा , '' तुम शायद संन्यास ले रहे हो । जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है , वह इसी तरह हरामखोरी पर उतर आता है । किससे दीक्षा ले आए ? '' मेरी बात से उसे पीडा हुई । उसने कहा , '' ऐसे कठोर वचन मत बोलिए । आत्मा सबकी एक है । मेरी आत्मा को चोट पहुँचाकर

सनातन का कोरोना कनेक्शन

इन पर ध्यान दें : 👇 नमस्ते छुआछूत सोला वानप्रस्थ सूतक दाह संस्कार शाकाहार समुद्र पार न करना विदेश यात्रा के बाद पूरा एक चन्द्र पक्ष गांव से बाहर रहना घर मे आने से पहले हाँथ पैर धोना बाथरूम और टॉयलेट घर के बाहर बनवाना वैदिक स्नान की विधि और इसे कब कब करने है यह परंपरा ध्यान दें, हमारे ईश्वर के स्वास्थ्य खराब होने पर उनकी परिचर्या #यह वे चीज़े हैं जो मुझे याद आ रहीं हैं। आप बुजुर्गो से पूछेंगे तो और भी चीजे आपको मिलेंगी। यह हम भूल चुके हैं क्योंकि एन्टी बायोटिक, साबुन, और सेनिटाइजर बाजार में आ गए और औद्योगिक क्रांति को  मानवीय संसाधनों की जरूरत थी। आज हमें फिर वही परम्पराए नाम बदल बदल कर याद दिलाई जा रहीं है। #सोशल_डिस्टेंसिंग #क्लींलिनेस बुजुर्गो की कम इम्युनिटी आदि आदि। वानप्रस्थ आश्रम का उद्देश्य ही यह था कि वायरस बुजुर्गो पर जल्द प्रश्रय पा जाता है, फिर मजबूत होकर जवानों पर हमला करता है, इसलिए कमजोर इम्युनिटी के लोगो को वन भेज दिया जाता था।। निष्कर्ष : आना दुनिया को वहीं है जहां से हम चले थे। यही सनातन है। यह प्रकृति का संविधान है। #स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज