बड़ा जांझवाती चुनाव है ये - मोदी बनाम राहुल गांधी / गांधी नेहरू बनाम सरदार पटेल - मंहगाई बनाम - आशाएं / बहुसंख्यक बनाम - अल्पसंख्यक / भ्रष्टाचार बनाम - सुशासन / जीत पर जान लगी है सबकी !!
अटकलें, अफवाहें, झूठ, फरेब, पैसा, प्रतिष्ठा, कमीनापन, सच्चाई सब दाँव पर है !!
कई टीमों के बीच ५ वर्ष में एक बार होने वाला कुर्सी कप इस बार फिक्स हैं !!
२ टीम हैं एक मोदी की और एक विरोधी टीम जिसमे सपा, बसपा, लालू, नितीश ममता और न जाने कौन कौन खिलाडी हैं !!
दूसरी टीम में एक और उप टीम थी जो पार्टी के लिए चुनाव नहीं लड़ रही हैं और चुनाव का सिर्फ मज़ा ले रही हैं या सिर्फ अपनी सीट जीतने की कोशिश में मशगूल हैं !!
उसका काम था की किसी भी तरह ये वर्त्तमान सरकार निपटे और हम पार्टी आला कमान या चुनाव प्रबंधक की टांग खींच कर खुद पार्टी पे कब्ज़ा करें !!
ये रणनीति पिछले CWG घोटाले के बाद से बन रही थी !!
कांग्रेस की वास्तविक स्तिथि इतनी बुरी कभी नहीं रही न ही बीजेपी की इतनी बढ़िया या यूँ कहें की किसी व्यक्ति विशेष की बीजेपी में !!
इसे सभी बीजेपी विरोधी, बीजेपी का कांग्रेसी करण मानते हैं ; पर मैं ऐसा नहीं मानता - कोई भी ऐसा नहीं मानेगा जिसने भी संघ को करीब से जाना है पहचाना है !!
अगर हम क्रमवार चर्चा करें तो साध्वी प्रज्ञा के मामले से कांग्रेस के सम्बन्ध संघ से ख़राब होना शुरू हुए !
सन ६२ की लड़ाई में जिस तरह से संघ ने नेहरू का साथ दिया वो काबिल ऐ तारीफ था ; नेहरू ने संघ को गणतंत्र दिवस परेड में शामिल किया और २ दिन के नोटिस में संघ के ३ हज़ार स्वयं सेवक परेड में पहुंचे !!
इंदिरा के समय में हुए पाकिस्तान से युद्ध में, संघ इंदिरा के साथ था !!
संजय के नसबंदी कार्यक्रम में संघ का मूक समर्थन हमेशा रहा !!
आपात काल का बदला लेने की भवना संघ में कभी नहीं रही !!
संघ या बीजेपी ने कभी भी गांधी नेहरू परिवार पर व्यक्तिगत आक्छेप नहीं लगाये, न ही जवाहर, इंदिरा, राजीव ने व्यक्तिगत आक्षेप संघ पर लगाये !!
ये शुरू हुआ दिग्विजय के कारण मध्यप्रदेश में दिग्गी शासन काल में ;
उसके बाद साध्वी प्रज्ञा और मालेगाओं ब्लास्ट की राजनीती ; दिग्गी का ओसामा जी कहना ; कसाब और संसद हमले के आरोपियों का बचाव !!
अजीब अजीब बयान और लगातार संघ पर किये जाते प्रहार से संघ प्रमुख परेशान थे।
साध्वी प्रज्ञा के समय - एक समय ऐसा आया की संघ प्रमुख को महसूस हुआ की वे भी जेल जा सकते हैं ;
बस यहीं से शुरू हुआ मोदी का उत्थान -
२००२ के दंगों के बाद परिस्तिथियाँ तेजी से बदली - मोदी का विरोध चरम पर पहुंचा ; मोदी को हत्यारा कह दिया गया, रक्त पिपासु और न जाने क्या क्या बयान जारी हुए !!
संघ कार्यकर्ताओं के मन में इस बयान बाज़ी से मोदी के प्रति प्रेम जाग्रत हुआ !!
संघ के बौद्धिक वर्गों में इस पर चर्चा होने लगी - मन बनने लगे !!
दिग्गी, अभिषेक, खुर्शीद, मनीष के बयानों और मोदी के खिलाफ नित नए केसो ने संघ कार्यकर्ताओं का मन पक्का करने में मदद करती रही और मोदी की कानूनी टीम अपने काम में ईमानदारी से लगी रही।
इसी दौरान मोदी की इमेज बिल्डिंग टीम मोदी को ऐरोगेंट साबित होने देती रही ; जिससे कांग्रेस और विरोधियों के मन में मोदी का भय व्याप्त न हो और विरोधी नए नए तरह के ओछे बयां देते रहे !!
आप अगर थोड़ा गौर करें तो मोदी पर लगे सारे आरोप बेबुनियाद साबित हुए और चुनाव के अंतिम ४-५ चरणों में मोदी ने अपने इंटरव्यू में सारे सवालों के जवाब दिए और मीडिया का मुंह बंद कर दिया और वे ही मुद्दे मोदी ने अपने विरोधियों की झोली में वापस डाल दिए !!
CWG और 2G के बाद जो अन्ना समर्थक माहौल बना उस समय राहुल गांधी ने एक सकारात्मक कदम उठाया पर थोड़ी देर हो गयी !!
राम देव वाले प्रकरण की जरूरत ही नहीं थी - उसे मनीष तिवारी ने और मचा के रख दिया !!
साध्वी प्रज्ञा के मामले के बाद संघ को ऐसा लगने लगा था कि गांधी परिवार उसका और हिंदुत्व का प्रबल विरोधी है !!
और ये अस्तित्व की लड़ाई है !!
इसी दौर में एक कल्पना और जन्म ले रही थी दक्षिण और उत्तर भारत का पारस्परिक विरोध !!
देवगौड़ा और चन्द्र शेखर प्रधानमंत्री बन चुके थे ; मुलायम, नितीश, ,माया, जाया और ममता अपने आपको अगला प्रधान मंत्री मान चुके हैं !!
२००६ के बाद से राहुल गांधी जाग्रत हुए उन्होंने परदे के पीछे से निर्णय लेना शुरू किया ; जिससे कांग्रेस के बड़े नेताओं में खलबली मच गयी उन्हें लगने लगा की अब कांग्रेस को नया प्रधानमंत्री मिल रहा है १९९१ के बाद से गांधी परिवार से कोई प्रधान मंत्री नहीं हुआ ; ये एक बहुत बड़ा कारण था लोगों की महत्वाकांक्षाएं बढ़ने का !!
इन लोगों को लगता था की राहुल से तभी छुटकारा मिलेगा जब ये धूम केतु की तरह चमके और धरातल पर आते आते बुझ जाये !!
काम शुरू हुआ - एक घेरा बना लिया गया , जिसमे अराजनैतिक या बुरी तरह हारे लोग, कुछ पूँजी वादी और कुछ एन जी ओ शामिल थे !!
किसी को राहुल का राजनैतिक गुरु (योगेन्द्र यादव - आप नेता) बना दिया गया किसी को अंकल !!
इसी तारतम्य में गांधी परिवार के वफादार, जो इंदिरा, राजीव और सोनिया के साथी थे, ठिकाने लगा दिए गए !!
राहुल को भय दिखाया गया की अगर कोई नेता लोकप्रिय होगा तो आपकी सत्ता को चुनौती देगा !!
ˆYSR परिवार से लेकर नटवर सिंह तक इस फॉर्मूले की भेंट चढ़ गए !!
वीरभद्र सिंह से लेकर हरीश रावत तक सालों खून के घूँट पीते रहे !!
इसी ग्रुप ने यू पी ए मंत्रियों को साथ लिया ; खूब मौज काटी और क्षेत्रीय दलों को इस आशा में मजबूत किया की ये आगे काम आएंगे !!
बीजेपी शाषित प्रदेशों पर खूब कृपा लुटाई गयी !!
खूब सवश्रेष्ठ प्रदेश , सर्वश्रेष्ठ विभाग के पुरूस्कार बांटे गए !!
राहुल की राजनैतिक सोच की दिशा - मोदी, उत्तर प्रदेश, बिहार और ताकतवर कोंग्रेसियों के विरोध तक सीमित कर दी गयी !!
मध्य प्रदेश; छत्तीसगढ़ और ओडिशा की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया गया !!
राहुल युवा कांग्रेस में लगे रहे ; अमेठी भी नहीं जा पाये जिससे विधान सभा चुनावों में अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुयी !!
जब प्रियंका जाग्रत हुयी और उन्होंने राहुल की मदद करना शुरू की तो इसी ग्रुप ने रोबर्ट को निशाने पर ला दिया !!
कुल मिलकर कुछ नए लोगों ने पुराने वफादारों को हटाकर गांधी नेहरू परिवार की नयी पीढ़ी को टारगेट किया और सफल भी रहे !!
अब दूसरे पहलु पर आए -
मोदी :
पिछले १० सालों में गोधरा का आरोप झेल रहे हैं ; पर कांग्रेस कुछ साबित नहीं कर पायी !!
कई पुरूस्कार गुजरात सरकार को मिले जो केंद्र सरकार ने दिए !!
७५ ठो आरोप लगाये - सिद्ध एक भी न कर पाये !!
बाटला हाउस मामला दिल्ली में हुआ ; जासूसी कांड बंगलोर में जहाँ कांग्रेस की सरकार है या थी !!
मोदी की शादी का मामला हो या लड़की की जासूसी का मामला ; उठाया ही क्यों गया जबकि सम्बंधित पक्ष को कोई परेशानी नहीं थी !!
मोदी एक चतुर व्यक्ति साबित हुए ; जिन्होंने न गोधरा मामले को न तो शांत होने दिया न ही ऐसी कोई कोशिश, किसी एनकाउंटर के मामले में की !!
चर्चा मोदी की होती रही और प्रेस कॉन्फ्रेंस का खर्च सपा बसपा और कांग्रेस उठती रही !!
मुज्जफ्फरपुर कांड में मोदी शांत रहे क्यों ?
कई महीनों से राष्ट्र की बात कर रहे हैं क्यों ?
अब्दुल्ला को उकसा देते हैं ; फिर जब राष्ट्र विरोधी बयां हो जाता है तब....... ?
दिग्गी और अमृता की फोटो, नेट पे आती हैं एन चुनाव के समय - क्यों ?
अडानी के मुद्दे पर अडानी का ही बयान १ महीने बाद आता है क्यों ?
गैस के दाम क्यों बढ़ाये जाते हैं, इसका किसे फायदा होता है ?
केजरी स्तीफा देते हैं इससे किसका फायदा होता है ?
राहुल का ये शानदार सलाहकार कौन है ये जाँच का विषय है !!
मोदी पर लगे आरोपों से फायदा किसे हुआ ये सोचने का विषय है !!
किसी भी नेता का भारतीय राजनीती में ग्राफ - इतने काम समय में इतना कभी बढ़ा है क्या ?
आप बताएं - क्या इंदिरा का या जवाहर का - किसका ?
आज संघ ने मोदी का उपयोग कर के गांधी परिवार को इस स्तिथि में पहुंचा दिया है कि अगर मोदी की सरकार बनती है तो आफत है और अगर कांग्रेस मिली जुली सरकार बनाती है तो जनता का रोष कम नहीं होगा और क्षेत्रीय दलो की ब्लैकमेलिंग चरम पे होगी ; जिससे कांग्रेस के भविष्य पे पूर्ण ग्रहण लग सकता है !!
कांग्रेस नेतृत्व के सबसे बुरे दिन पी वी नरसिम्हा राव के समय थे !!
एक विदेशी महिला उसके दो किशोर बच्चे नेहरू गांधी परिवार की विरासत, तमाम ट्रस्ट और परसम्पत्तियों का रख रखाव एवं सत्ता से विरोध !!
ये एक ऐसा समय था जब, परिवार के वफादार कुछ लोगों ने लगातार सोनिया गांधी का साथ दिया उन्हें सम्बल दिया !!
पर एक समय ऐसा भी आया जब ये वफादार हितचिंतक किनारे कर दिए गए !!
आखिर क्यों ?
नरसिम्हा के बाद २००४ तक वाजपई शासनकाल में शीर्ष नेतृत्व को कोई तकलीफ नहीं थी ; ये तकलीफ शुरू ही २००४ से हुयी !!
कहते हैं सत्ता जहर है पर मैं कहता हूँ ये नशा है अफीम का नशा ; जिसमे आदमी अपने परायों की पहचान खो देता है !!
दूसरा कारण गठबंधन की राजनीति -
ये एक ऐसा कारण रहा जिसके लिए कांग्रेस ने सारी मर्यादाएं तोड़ दी ; सारे आदर्श ताक पर रख दिए !!
मनमोहन सिंह ने खुद कहा की गठबंधन की कुछ मजबूरिया रहती हैं !!
इन्ही मजबूरियों ने शेर जैसी कांग्रेस को गीदड़ जैसी कांग्रेस में बदल दिया !!
क्षेत्रीय दल मजबूत होते गए और कांग्रेस सिकुड़ती गयी !!
लगभग सारे क्षेत्रीय दल कांग्रेस की अपनी पैदावार थे !!
कांग्रेस ने जिसको समर्थन किया वही कांग्रेस के सर पर चढ़ कर नाचा !!
इस दौर से कांग्रेस को बहार निकलना चाहिए चाहे ५ साल लगें या १० !!
बीजेपी का का अपना इलाका है, बीजेपी साउथ में ज्यादा प्रोग्रेस नहीं कर सकती ; पर विरोध का लाभ ले सकती है !!
अब समय है कि कांग्रेस नए नेतृत्व के बारे में सोचे प्रियंका को आगे लाये ; पुराने और वफादार लोगों पर विश्वास करे और इस संकट से लड़े !!
बीजेपी के बारे में मैं सिर्फ इतना कहूँगा कि आप ज्यादा उत्साहित न हों - ये जन सैलाब अन्ना की देन है ; मोदी एक साधन मात्र है जिसका भरपूर उपयोग संघ ने किया है ; मैं ये भी मानता हूँ कि मोदी से लोगों को आशाएं हैं और मोदी में काबिलियत भी है पर आशाएं लगातार बड़ी हो रही हैं ; जिनको पूरा करना थोड़ा कठिन है !!
कांग्रेस और मोदी विरोधियों की इस बात का पूर्ण विरोध करता हूँ की मोदी हत्यारे हैं ; दंगाई हैं और सांप्रदायिक हैं, हिटलर हैं !!
मोदी पर लगाये गए आरोपों को कोई भी सिद्ध नहीं कर पाया जिसके कारण सबसे बड़ा नुक्सान कांग्रेस को हुआ !!
हिटलर दिखने की मोदी की रणनीति थी; जो संघ द्वारा पोषित थी !!
ये हमें याद रखना चाहिए की बीजेपी या संघ में कोई माई का लाल एकला चलो की नीति नहीं अपना सकता !!
ये दलित, शिक्षित और युवा वर्ग को प्रभावित करने की नीति थी जो फिल्म जंजीर के अमिताभ बच्चन या अग्निपथ के विजय दीना नाथ से प्रभावित होता है !!
राहुल गांधी ने भी इसे अपनाने की बहुत कोशिश की पर असफल रहे !!
राहुल ने युवा कांग्रेस को जाग्रत किया १० कार्यकर्ता हर बूथ पर की नीति चलायी पर इसका फायदा दिल्ली में आप को मिला और देश में बीजेपी को !!
कुल मिलकर राहुल को उनके सिपहसालारों ने ताप लिया इसमें राहुल की गलती गौड़ है !!
हमारे यहाँ कहावत है ; कि बरगद के नीचे घांस भी नहीं उगती फिर तो राहुल बड़े बड़े बरगद को अपना सरपरस्त बनाये है !!
संघ अपनी सोच को वृहद कर रहा है ; कॉमन सिविल कोड जैसे नए परिष्कृत शब्दों का उपयोग कर रहा है ; मंदिर , मस्जिद मुद्दे को शिथिल कर रहा है राष्ट्रीयता की बात करता है !!
गुजरात का उदाहरण देता है ; दंगों से छुटकारे की बात करता है हाँ संघ बदल रहा है !!
कांग्रेस भी बदल रही है ; हाँ जरूर बदल रही है - गांधी के सिद्धांतो को तिलांजलि दे रही है ; कुटीर उद्योग बर्बाद हो रहे हैं !!
रोटी, स्वस्थ्य सेवाएं और कृषि बर्बाद हो रही है - कारें बढ़ रही हैं मल्टीप्लेक्स बढ़ रहे हैं ; सामान्य आदमी के बजट से आवासीय जमीन बाहर जा रही हैं !!
मोदी इसी लिए रोल मॉडल बन रहे हैं जब वो कहते हैं की गुजरात में पशुओं का मोतियाबिंद का ऑपरेशन भी मुफ्त होता है; तो लोग अचंभित होते हैं और उनमे आशा खोजते हैं !!
कांग्रेस में गरीब और माध्यम वर्गीय व्यक्ति आशा नहीं खोज पाता तो वह निराशा और कुटिलता खोजता है !!
क्या करे उसे किसी को तो दोष देना है ; जब उसे कोई नहीं मिलता तो वो ईश्वर को कोसता है ; ये भारत की सार्वभौमिक सोच है ; इसे बदला नहीं जा सकता !!
मोदी का उद्भव : मोदी के उद्भव की एक सच्चाई ये रही कि जितनी मोदी पर बहस हुयी उतना लोगों के मन में उन्हें जानने की जिज्ञासा जगी !!
मुख्यमंत्री का कार्यक्षेत्र और उसमे रूचि लेने वाले सिर्फ वही प्रदेश होता है जिसका वो राजा है; पर लगातार देश की सबसे बड़ी पार्टी की तरफ से हो रहे हमले ने लोगों में मोदी के प्रति जिज्ञासा जगा दी - और जितना मोदी या संघ दिखाना चाहते थे उतना उन्होंने बखूबी बताया !!
दिग्गी राजा ज्यादा होशियार बने तो उनका भी बाजा बज गया !!
हाल में मोदी को "नीच" कहा गया और काश्मीर के अब्दुल्ला जी ने काश्मीर को देश से अलग करने का जो बयान दिया ; वो राजनैतिक इतिहास की सबसे बड़ी भूल साबित हो सकती है !!
आज लोगों को मज़ा आता है ; गांधी परिवार की खिल्ली उड़ाने में ; राहुल का मजाक बनाने में -
इसे आप गलत नहीं कह सकते - ये क्रिया की प्रतिक्रिया है ; जिस व्यक्ति ने पूरी ठण्ड, ठन्डे पानी से नहाया हो ; वो भी सिर्फ इसलिए की भोजन बनाने के लिए गैस बचानी है उसे इतना हक तो बनता है !!
कांग्रेस को सोचना चाहिए की सीधे रूप से उसकी सरकार ने लोगों पे कितना बोझ डाला है !!
सेट टॉप बॉक्स की क्या जरूरत थी ?
गैस को प्रति व्यक्ति के हिसाब से बाँट देते ; प्रति परिवार करने से क्या फायदा हुआ !!
जो लोग संयुक्त परिवार में रहते थे वो कई परिवारों में बंट गए ; मुसलमानों का बुरा हाल हो गया !!
उनके यहाँ कई परिवारों में एक से ज्यादा पत्निया और कई बच्चे थे - वे पिस गए बेचारे !!
हिन्दुओं के यहाँ जो व्यापारी वर्ग के लोग थे और संयुक्त हिन्दू परिवार अधिनियम के तहत व्यापार करते थे उनकी हलात ख़राब हो गयी पूरे दाम में गैस खरीदने में !!
जो इन सब से बचे थे वो बेचारे के वाई सी और बैंक के चक्कर में परेशान थे !!
गाँधी की अवधारणा को कांग्रेस ने तोड़ फोड़ कर बराबर कर दिया ; राम राज्य को बही खता राज्य में बदल दिया !!
लोकतंत्र और गाँधी वाद कहता है की सबसे कमजोर तक मदद सबसे पहले पहुचाओ और कांग्रेस ने क्या किया ?
इसी सबसे कमजोर तबके को खाता बही के हिसाब से बाँध दिया !!
मदद लेने के लिए इतने प्रमाण पत्रों की जरूरत पड़ने लगी की भोले - भले लोगों को मदद मिलना दूभर हो गया !!
कोई धर्म कोई समाज कोई तबका नहीं बचा जिसे इन नए नए नियमो और नीतियों से तकलीफ न हो !!
गणित नियम कायदे से व्यापार चलता है ; अमेरिका भी चलता होगा और वर्ल्ड बैंक तो बिलकुल चलता है पर परिवार का चूल्हा बही खतों से नहीं चलता न ही रिश्ते नाते, भावनाएं और प्यार से चलता है !!
ये भारत है यहाँ भाई - भाई के लिए राज पाठ छोड़ देता था और आज भी देश में हर आदमी दूसरे आदमी में वही आदर्श खोजता है - खुद में नहीं खोजता ये अलग बात है - पर सत्ता वोट मांगती है उसके बदले आपको जनता को आराम और मानसिक शांति देनी पड़ेगी और अगर कुछ न दे पाओ तो आदर्शवाद का आइना दिखाओ !!
राहुल ने ऐसा कुछ नहीं किया ; कनिष्क, यादव, पटवारी और मालूम नहीं कौन कौन से लोग इकट्ठे किये जिन्हें देश के बारे में कोई ज्ञान नहीं था !!
विदुर नीति कहती है की एक ताकतवार के अवसान से कई कमजोर खुश होते हैं और आपसे जुड़ते है ; आपकी संख्या बढती है ; ताकत बढ़ती है ; यही मोदी ने किया, इसी को केजरीवाल ने करने की कोशिश की !!
अम्बानी या गाँधी की तकलीफ से जनता को क्या मिलेगा ? आप सोंचे ?
जो मिलेगा सिर्फ नेता को मिलेगा - और वो है ताकत !!
थोडा सा सुकून जनता को मिलेगा और वो ये कह सकेगी की "हमारे नेता" ने झंडे गाड़ दिए !!
यही भावनात्मक रिश्ता है जनता और नेता का !!
जातिवाद का पराभाव अब निश्चित है अगले १० सालों में ये और कम होगा ; मायावती को ये समझ में आ गया है ;
मोदी को भी समझ में आ गया है की धर्म विशेष की राजनीती अब नहीं चलेगी !!
तार्किक रूप से अगर कहें तो संगठन शोषित लोग बनाते हैं और शोषक के खिलाफ लड़ते हैं !!
हिन्दुस्तान में धर्म का कानून चलता रहा है ; व्यक्ति अपनी आस्थाओं से डरता रहा है ; बिल्ली मार दो तो सोने की देना पड़ेगी ; शराब पी ली तो दोजख मिलेगी - इसके लिए कोई पुलिस या सेना नहीं थी जो डंडा ले कर ये मनवाये की तुमको ये करना ही पड़ेगा - अब सेना है पुलिस है जातिवाद पर नकेल कसने के लिए ; सरकारी डंडे हैं, आरक्षण है, शिक्षा है - इससे शोषित कम हो रहे हैं ; तो संगठन भी कमजोर हो रहा है और वोट बैंक भी !!
अब एक ही वोट बैंक बचा है सुधार - महगाई कम करो ; कमाई बढाओ !!
जो मोदी प्रचारित कर रहे हैं संघ प्रचारित कर रहा है ; कांग्रेस युवा जोश ; फ्लाई ओवर और मेट्रो पे अटकी है !!
जिस आदमी की बैल गाड़ी के पहिये में नाल ठुकवाने के लिए लोहा खरीदने की औकात नहीं उसे कार और फ्लाई ओवर खुश नहीं करते सिर्फ जलाते हैं खुन्नस पैदा करते हैं !!
वोट कौन देता है कार वाला या बैलगाड़ी वाला ?
आगे अभी और है इंतज़ार करें !!
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