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छत्तीसगढ़ की राजनीती में हाथी की चाल........


मेरे मित्र लगातार ऑरकुट और निजी चर्चाओं में प्रश्न करते रहें है कि
आज के दौर में बा सा पा का भविष्य क्या है ?
छत्तीसगढ़ के आने वाले चुनाव में बा सा पा का क्या योगदान रहेगा?
कांसी राम जी के बाद मायावती बहन का क्या भविष्य होगा?
क्या बा सा पा कांग्रेस को नुकसान पहुँचायेगी ?
मैं भी इस विषय पर काफी समय से लिखना चाह रहा हूँ........
आज के परिद्रश्य में बा सा पा के वैचारिक स्तर में काफी सुधार हुआ है.
पार्टी जातिगत विद्वेष से ऊपर उठ कर सामाजिक और राष्ट्रीय सौहद्रता कि बात कर रही है. कुछ समय पूर्व तक
तिलक तराजू और तलवार.
इनको मरो जूते चार.
कि विचार धारा वाली मायावती अब ब्राह्मण. बनिया और ठाकुरों को अच्छे पदों पर बैठा रही है, उनका सम्मान कर रही है.
बा सा पा पर कभी भी धार्मिक उन्माद फैलाने का आरोप नहीं लगा न ही मुस्लिम तुष्टिकरण और धर्म परिवर्तन का ही आरोप लगा है.
बहुजन समाज पार्टी पर सिर्फ १ आरोप लगता था कि पार्टी जातिगत वैमनस्यता फैलाती है जो अब अपरिहार्य है ......
आज के परिपेक्ष्य में देखा जाय तो बा सा पा एक मात्र ऐसी पार्टी दिखती है जो पूर्णतः धर्म निर्पेक्ष्य, सामाजिक, धार्मिक और जातिगत समरसता में विश्वास करती है.
उ.प्र में पार्टी इन्ही कारणों से पूर्ण बहुमत में आई है.
३६ गढ़ में बा सा पा का कोई बड़ा राजनैतिक संगठन नहीं है, पार्टी के पास चुनाव हेतु बड़ा फंड भी नहीं है फिर भी पार्टी का भविष्य आने वाले चुनाव में उज्जवल है.
ऐसा भी हो सकता है कि आने वाले चुनाव में मायावती जी किंग मेकर की भूमिका निभाएं.
कुछ पाठकों को मेरी बात अतिशयोक्ति लग सकती है, परन्तु ऐसा है नहीं.
आने वाले चुनाव में भा जा पा और कांग्रेस की गुट बाजी सबको दिखाई दे रही है.
दोनों दल इस से उबरने की कोशिश कर रहे है, यह आंशिक संभव हो सकता है पूर्णतः संभव नहीं है.
और बा सा पा इन्ही दलों पर नज़रें लगाये बैठी है, असंतुष्ट उम्मीदवारों को टिकिट देकर
बा सा पा ,भा जा पा और कांग्रेस को मुसीबत में डाल सकती है......
बा सा पा के लिए छत्तीसगढ़ में कोई भी पार्टी अछूत नहीं है , वह जिसको भी सरकार बनाने कि स्थिति में पायेगी उसके साथ हो जायेगी.
छत्तीस गढ़ के आसन्न चुनावों में मुझे लगता है बा सा पा १० के आस पास सीट जीतेगी.
हाथी भा जा पा और कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुँचायेगा,
जिस पार्टी में ज्यादा असंतोष होगा, ज्यादा बागी उमीद्वर होंगे उसे ज्यादा नुकसान होगा.
कांशीराम जी के बाद दलित प्रधानमंत्री बनने का सपना मुझे लगता है मायावती पूर्ण करेंगी. उनका भविष्य उज्जवल है.

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