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दिसंबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संविधान और धर्म 🙏

चलो राजनीति से समाज शास्त्र पर आते है ।। हम बदल क्यों रहे है? प्रश्न अति महत्वपूर्ण है। 1 पीढ़ी पहले तक- जब विश्वविद्यालय में झगड़ा होता था तो कोई लड़का दूसरे को कहता था, भाई मेरी 1 बहन है उसकी शादी न करनी होती तो साले को पटक के खुखरी पेल देता। मेरी इस हरकत से बहन की शादी में समस्या न आती तो मैं भी देख लेता उसे । 2 पीढ़ी पहले सरकारी बाबू बोलता था - अगर परलोक की चिंता न होती - तो मैं भी भ्रष्ट होता और 50 बीघे का मालिक होता । इसी पीढ़ी में कई भ्रष्टाचारियो की बिटियों और बेटो की अच्छे घरों में शादी न हो सकी । चाचा शराबी हो झगड़ालू हो तो लोग उस खानदान के लोगो को काम नहीं देते थे। बुरी आदतों या धोखे आदि के लिए लोगो का कई बार हुक्का पानी बन्द हुआ। अच्छे आचरण वालो को समाज सम्मान देता था। यह तो हुयी पुरानी बात अब आज की बात : अगर कोई अति भ्रष्ट है तो लोग उसे चतुर कहते हैं, कोई भ्रष्टाचार में पकड़ा जाए तो लोग उस घर में बेटी ब्याहने में कोई संकोच नहीं करते। गुंडे मवालीयो से संपर्क आपके गुणी होने का पहला प्रशस्तिपत्र है। वर वधू के भाई परिवार या कुटुंब के आचरण से हमें कोई लेना देना नहीं, लेना

तीन राज्यों की हार और भाजपा

@amitshah कहते हैं कि अगला चुनाव हम युद्ध की तरह लडेंगे। जबकि 11 दिसम्बर के पहले मोटा भाई विरोधीयों को कुछ मानने ही तैयार न थे? प्रश्न यह कभी न था कि अटल सरकार भ्रष्ट थी, न ही यह प्रश्न आज उठता है कि मोदी सरकार भ्रष्ट है। प्रश्न सिर्फ यह है कि आप डरते हो और जनता को मूर्ख समझते हो। 1- आपको चुनाव में हारने का डर है इसलिए संघ की विचारधारा को किनारे कर देते हो, जबकि आप जानते हो कि इसी विचारधारा ने आपकी सरकार बनवाई है। 2- आप पूर्ण बहुमत की सरकार चलाते हुए भी डरते हो, राम मंदिर धारा 370 पर बिल लाने से डरते हो। 3- आपको अपने वोटर के स्वार्थ की चिंता नही है आप उन्हें "taken for granted" लेते हो, आप दूसरों के वोटर झपटने के लिए लालची हो। 4- आप इतिहास से कुछ नहीं सीखना चाहते, क्या जनसंघ से लेकर अटल सरकार तक आपने हर हार का विवेचन नहीं किया है? 5- क्या शाहबानो से लेकर राम भक्तो पर गोली चलाने तक के एपिसोड पर आपकी पार्टी के स्टैंड आपको नहीं मालूम हैं? 6- क्या वी पी सिंह की पार्टी और खुद VP के हाल आपसे छुपे हैं? 7- क्या आप समझते हैं कि सोशल मीडिया के इस जमाने मे आपको आपके विरोधी छोड़ दें

हम बेवकूफो को आदर्श नहीं मान सकते पर हम बेवकूफ हैं; 🤣

चलिए आध्यात्म, मानवीयता और भारतीयता पर लौटें । "हम बेवकूफो को आदर्श नहीं मान सकते और हमें कोई स्वार्थी कहे ऐसी किसमें मजाल है? " यही भारतीय सिविलाइजेशन का मूल है, #छुट्टन_गुरु #लल्लन_महाराज - कैसे ?🙄 मै - कुछ चीज़े हैं ; जो भारतीय समाज को पश्चिमी समाज से अलग करती हैं ! १- आदर्शवाद २- त्याग ३- निस्वार्थ कर्म ४- सहिष्णुता पंगा इन्ही चीज़ों में फंसता है ; आज पश्चिमी या अभारतीय दर्शन कहता है ; कि आदर्शवाद जब जरूरी है जब हमें फायदा हो ; जीवन सिर्फ निजी फायदे के लिए है , अगर फायदा नही तो मतलब क्या ? लाभ ही तो सब कुछ है, BY HOOK OR CROOK... यही सोच संकुचित हो कर "मैं" में सिमट चली है और उतरोतर अहंकारी होती जाती है !! और भारतीय दर्शन कहता है कि अहंकार तो रावण का भी न चला... हम कहने लगे हैं - आदर्शवाद बढ़िया है पर दूसरों के लिए !! जब हमारी बात आती है तो कोई रास्ता बहाना खोज लिया जाता है, कि हम उससे बच सके। त्याग दूसरे करें हम तो अधिकार के लिए लड़ेंगे। #छुट्टन_गुरु : हम निस्वार्थ क्यों हो ? निस्वार्थ कर्म : ये क्या होता है ? चाणक्य ने कहा था कि बिना ला

भारतीयता और पश्चिम...

हिन्दोस्तान की जिसे समझ है, वह जानता है कि इस देश ने अंगुलिमाल को सन्त स्वीकारा है, रावण को हम हर वर्ष जलाते हैं पर उसे प्रकांड पण्डित भी मानते है और रावण रचित शिव तांडव स्त्रोत्र का पाठ भी करते हैं पर राम भक्त विभीषण जिसे लंका का राज्य मिला उसका नाम आज भी धोखे के प्रतीक के रूप में उपयोग करते हैं, कोई अपने बच्चे का नाम विभीषण नही रखता न रावण रखता है, पर रावण के पांडित्य का सम्मान जरूर करता है। सिद्धार्थ, अशोक जैसे नाम आपको खूब मिलेंगे, अशोक निरा हत्यारा था पर बाद में बदल गया। गांधी का पारिवारिक जीवन बहुत बुरा था बल्कि आप कह सकते है कि गांधी पत्नी उत्पीड़क और हृदयहीन पिता थे, पर लोग उन्हें आदर्श मानते हैं। भारतीय परंपराओं में छुप के अपराध करना (कुटिलता) स्वीकार नही है। वह कार्य तो बिल्कुल स्वीकार्य नही जो आपकी अंतरात्मा स्वीकार न करे। आचार्य श्रीराम शर्मा ने कहा है जो तुम्हे खुद पसंद न हो वह दूसरो के साथ न करो। यही तो भारतीयता है, यही तो है हमारा #डीएनए रिसर्चर्स कहते हैं कि हमारी मजबूत यादे हमारे डीएनए में पैबस्त हो जाती हैं, हमारे पूर्वजो के गुण हम में होते ही हैं, वे झलकते हैं

राजनीति और आदर्शों का घालमेल

#मोदी_शाह_और_आरएसएस 2 साल पुरानी पोस्ट .... 1- राजनीति में कभी कुछ भी सही तरीके से किया ही नही जा सकता । आदर्शवादी तरीके से राजनीति असम्भव है। विरोधी को छकाना, भ्रमित करना और उसे वस्तु स्तिथि से अवगत होने से पहले जमीन सुंघा देना ही तो राजनीति है, बल्कि यही जीवन है। 2- अगर आप विरोधी की अगली चाल भांप लेते हैं तो आप विश्वविजेता हो सकते हैं। अगर आप विरोधी के चाल चलने के पश्चात उसका तोड़ सोच लेते हैं तो आप विजेता हैं पर अगर आप विरोधी की चाल नही समझ पाते या उसे गम्भीरता से नही लेते तो आप हारने के लिए ही पैदा हुए हैं ।। 3- राजनीति में अच्छे उद्देश्य के लिए गलत तरीके स्तेमाल करना मजबूरी है, पर वह तरीके अगर सार्वजनिक हो जाये तो यह अज्ञानता कहलाएगी। नेता/राजा और जनता/प्रजा दो अलग अलग स्तर के दिमाग होते हैं। पहला दिमाग वह जो अपने महान उद्देश्य के लिए हर कोशिश करता रहे पर दूसरा वह ही देख पाता है जो उसे पहला दिखाये। 4- नेता या राजा कभी 1 विजय से महान नही कहलाता उसे सैकड़ो छोटी छोटी जीतो का गुलदस्ता बनाना होता है जिसे बाद में जनता या प्रजा खुद सभी जीतो को सम्मलित मान महान कहने लगती है। यही

सोशल मीडिया और पुरानी सोच...

#सोशल_मीडिया बुजुर्ग सोच के लोग जिन्हें लगता है कि सोशल मीडिया खेल है कुछ गलत लिख भी दिया तो जनता कुछ समय में भूल जाएगी ऐसे लोगों का अवसान तय है, लालू परिवार उनमे से 1 है। मुलायम बचे रह सकते हैं, वे समझदार है पर यह उनका यह विपरीत समय है, नीतीश उत्तरोत्तर तरक्की करगें पर केजरी, ममता और लालू का अवसान तय है ।। राहुल का पराभाव तय है और प्रियंका शायद वापसी कर लें अगर राहुल पूर्व की तरह वाड्रा के पीछे न पड़ें तो ।। नेताओ सेलिब्रिटी और महत्वपूर्ण लोगो को तुरंत के गोल दिखते हैं, वे उन्हें अचीव करने के लिए तुरन्त जागते है और उन्हें अचीव करने के बाद सो जाते हैं, इसमे कॉन्ट्रोवर्सी से पायी गयी प्रतिष्ठा के लिए, जघन्य गलतियां सामान्य बात हैं, पर जब वही गलतियें और बयान पीछे पड़ते हैं तो राहुल को जनेऊ धारू ऊप्स धरी हिन्दू बनना पड़ता है। सोशल मीडिया 1948 के सोमनाथ मन्दिर पर नेहरू के विरोध को खींच लाता है तो राहुल के लड़की छेड़ने के बयान की क्या बिसात है। व्यवस्थाएं और संस्कार वही होते है जो हमारे डीएनए में हैं। 25 साल लगे कांग्रेस को धर्मनिरपेक्षता शब्द संविधान में घुसेड़ने में पर 40 सालो में इस शब्