चलो राजनीति से समाज शास्त्र पर आते है ।। हम बदल क्यों रहे है? प्रश्न अति महत्वपूर्ण है। 1 पीढ़ी पहले तक- जब विश्वविद्यालय में झगड़ा होता था तो कोई लड़का दूसरे को कहता था, भाई मेरी 1 बहन है उसकी शादी न करनी होती तो साले को पटक के खुखरी पेल देता। मेरी इस हरकत से बहन की शादी में समस्या न आती तो मैं भी देख लेता उसे । 2 पीढ़ी पहले सरकारी बाबू बोलता था - अगर परलोक की चिंता न होती - तो मैं भी भ्रष्ट होता और 50 बीघे का मालिक होता । इसी पीढ़ी में कई भ्रष्टाचारियो की बिटियों और बेटो की अच्छे घरों में शादी न हो सकी । चाचा शराबी हो झगड़ालू हो तो लोग उस खानदान के लोगो को काम नहीं देते थे। बुरी आदतों या धोखे आदि के लिए लोगो का कई बार हुक्का पानी बन्द हुआ। अच्छे आचरण वालो को समाज सम्मान देता था। यह तो हुयी पुरानी बात अब आज की बात : अगर कोई अति भ्रष्ट है तो लोग उसे चतुर कहते हैं, कोई भ्रष्टाचार में पकड़ा जाए तो लोग उस घर में बेटी ब्याहने में कोई संकोच नहीं करते। गुंडे मवालीयो से संपर्क आपके गुणी होने का पहला प्रशस्तिपत्र है। वर वधू के भाई परिवार या कुटुंब के आचरण से हमें कोई लेना देना नहीं, लेना