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राजनीति और धर्म Vs नेता और धर्मगुरु


अंग्रेज़ो को न तो धर्म गुरु पसंद थे न ही ब्राह्मण ।
अंग्रेज़ो ने 2 व्यवस्थाएं दीं, 
1- वैकल्पिक ब्राह्मण
2- वैकल्पिक धर्म गुरु
A- वैकल्पिक ब्राह्मणों का काम था, जातिगत ब्राह्मणों के समान न्याय करना और प्रशासन चलाना।
B- वैकल्पिक धर्मगुरुओ का काम था संसद को नेतृत्व देना ।

व्यवस्थाएं तो अंग्रेज़ो ने ठीक ही दी बस एक कमी रह गयी वह थी, ब्राह्मणों के समान आदर्श और बिना अर्थ लाभ के शासन चलाने के गुर वह वैकल्पिक समाज को न दे पाए।
और यहीं से शुरू हुआ, #भ्रष्टाचार #ताकत और #अनैतिकता का खेल ।।

संसद को नेतृत्व देने वाले (मंत्री परिषद और राष्ट्रपति) वैकल्पिक धर्म गुरु हो या प्रशासन चलाने या न्याय करने वाले वैकल्पिक ब्राह्मण, सभी 200% भ्रष्ट और काइयां है।
क्यूं?
कभी आपने सोचा ?
इसका सिर्फ एक ही कारण है कि अंग्रेज़ो ने इन वैकल्पिक सत्ताधारियो को अधिकार तो पूरे दिए पर, ब्राह्मणों के समान भिक्षा मांग के भोजन, कुटिया में चुटिया के साथ निवास, स्वर्ण और रथ के उपयोग पर पाबंदी एवम
शराब और मांस से परहेज के नियम नही बनाये।
बस यहीं से शुरू हुआ हमारा पतन।
वैकल्पिक ब्राह्मण (नेता, न्यायाधीश और अधिकारी) पर अगर आज भी जातिगत ब्राह्मण के समान भिक्षा से जीवन यापन का नियम लागू हो, 
एक ड्रेस कोड लागू हो कि वह मांस और मदिरा की दुकान पर न जा सके, उसका परिवार भूमि, रत्न और ऐश्वर्य का संचय न कर सके।
तो क्या भ्रष्टाचार और अनैतिकता समाज मे जिंदा रह पाएगी।
सोचिये,
अगर नेता, जज और अधिकारियों के लिए भिक्षा ही जीवन यापन का साधन हो तो क्या बोफोर्स, क्या अगस्ता वेस्ट लेंड और क्या कोलगेट सम्भव है?
भ्रस्टाचार की सीमा ज्यादा से ज्यादा 2 किलो अमरूद या 2 लीटर दूध रह जायेगी 😂😂😂
बस यही तरीका है अब भ्रष्टाचार और अनाचार उन्मूलन का।
क्या आप इस विचार के साथ है?
बताइयेगा जरूर 😂😂😂
#हथौड़ा_पोस्ट
#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज

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