सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सनातन और संविधान - परिवार का क्या?

#Genesis कहती है कि #एडम को #ईव ने उकसा कर वर्जित फल खाने मजबूर किया ।।
#मतबल मर्द से अपराध करवाने का कार्य महिलाओं ने हो शुरू किया 😂और इस अपराध की सजा ये दोनो समान रूप से आज तक भोग रहे हैं 🙏
#शायद इसी बात से सीख लेकर अंग्रेजो का #संविधान बना और वह कहता है कि पति या पत्नी, पिता या पुत्र, भाई या बहन के किए गए पापो की सजा उसके काउंटर पार्ट या परिवार को नहीं दी जा सकती... 😂
यहीं से समस्या शुरू हुई है...
ईश्वरीय न्याय या #सनातन कहता है, कि परिवार के एक सदस्य का किया गया अपराध पूरे परिवार को झेलना चाहिए...
इससे बहुत से फायदे थे, सबसे पहला फायदा, परिवार के लोग ही अपने लोगो पर नियंत्रण रखते थे, संगठित रहते थे, इसे कुटुंब कहते थे, इसीलिए अपराध कम थे।
लोग उस घर में शादियां ही नहीं करते थे जिन परिवारों के लोग अपराधी या अनैतिक थे।
वामपंथ और अंग्रेजी विचारधारा (संविधान) कहती है, जिससे शादी करना है उसे देखो, उसके बाप या भाई से क्या लेना देना? कोई अपराधी है उसे रोको मत, डराओ मत उसका हिसाब कानून करेगा, आप किसी को रोकने के अधिकारी नहीं है उसके लिए पुलिस है न...
#संविधान कहता है, परिवार, संस्थान, समाज और संबंधियों से आपकी निजी पहचान अलग है, आप सिर्फ स्वयं के लिए जिम्मेदार हो। 
आज का नया कानून कहता है की पति पत्नी भी एक यूनिट नहीं है, पत्नी और पति की अलग अलग #पहचान हैं।
पति और पत्नी (विवाह में रहते हुए भी) एक दूसरे को छोड़कर,  किसी तीसरे से प्रेम कर सकते है।
किसी की वर्तमान पत्नी, अपने ही पति पर वैवाहिक बलात्कार का आरोप लगा सकती है।
पिछले 50 सालो में कुटुंब की अवधारणा एकल परिवारों में बदल गई, अब न्यायालय ने पति और पत्नी को भी अलग अलग यूनिट करार दे दिया।।
इसीलिए आज व्यक्ति ज्यादा एकाकी, ज्यादा असुरक्षित और परेशान है।
#कुटुंब की अवधारणा, प्रेम, सुरक्षा और मानसिक शांति की, निश्चितता की अवधारणा थी, 
जो आज बदलकर एकाकीपन, मानसिक रोग और आत्महत्या की तरफ जा रही है।
#निजिता #मी_टाइम #मानवाधिकार #साम्यवाद #महिला_सशक्तिकरण (जिसे मैं #पुरुष_अशक्तिकरण कहता हूं) के नाम पर मानव निर्मित #संविधानों ने हमे भयंकर तनाव, #पृथ्वी को बुखार (ग्लोबल वार्मिंग) और पशुओं को #विलुप्ति का भय प्रदान किया है।
#ब्रह्मांड का संविधान ही वह व्यवस्था है जो हमें, हमारे वातावरण को और इस ब्रह्मांड को सुखी कर सकती है।
और ब्रह्मांड का संविधान क्या है अगर यह जानना है तो #वेद #उपनिषद #भागवत #गीता और #रामायण पढ़ें,
किसी परंपरा प्राप्त गुरु से दीक्षा लें 🙏
#संज्ञान रहे, एकाकी व्यक्ति कुटुंब में रहने वाले व्यक्ति से 600%  ज्यादा प्रदूषण करता है।।
और अगर हम शहरी एकाकी और ग्रामीण कुटुंब की तुलना करें तो यह तुलना 6000% तक जा सकती है 🙏
#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भारतीयता और रोमांस (आसक्त प्रेम)

प्रेम विवाह 😂 कहां है प्रेम विवाह सनातन में? कृपया बताएं... जुलाई 14, 2019 रोमांस का अंग्रेजी तर्जुमा है - A feeling of excitement and mystery of love. This is some where near to lust. The indian Love one is with liabilities, sacrifices with feeling of care & love. The word excitement and mystery has not liabilities, sacrifices with feeling of care. प्रेम का अंग्रेज़ी तर्जुमा - An intense feeling of deep affection. मैंने एक फौरी अध्यन किया भारतीय पौराणिक इतिहास का ! बड़ा अजीब लगा - समझ में नहीं आया यह है क्या ? यह बिना रोमांस की परम्परायें जीवित कैसे थी आज तक ? और आज इनके कमजोर होने और रोमांस के प्रबल होने पर भी परिवार कैसे टूट रहे हैं ? भारतीय समाज में प्रेम का अभूतपूर्व स्थान है पर रोमांस का कोई स्थान नहीं रहा ? हरण और वरण की परंपरा रही पर परिवार छोड़ कर किसी से विवाह की परंपरा नहीं रही ! हरण की हुयी स्त्री उसके परिवार की हार का सूचक थी और वरण करती हुयी स्त्री खुद अपना वर चुनती थी पर कुछ शर्तो के साथ पूरे समाज की उपस्तिथि में ! रोमांस की कुछ घटनाएं कृष्ण के पौराणिक काल में सुनने म

टार्च बेचनेवाले : श्री हरिशंकर परसाई

वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा , '' कहाँ रहे ? और यह दाढी क्यों बढा रखी है ? '' उसने जवाब दिया , '' बाहर गया था । '' दाढीवाले सवाल का उसने जवाब यह दिया कि दाढी पर हाथ फेरने लगा । मैंने कहा , '' आज तुम टार्च नहीं बेच रहे हो ? '' उसने कहा , '' वह काम बंद कर दिया । अब तो आत्मा के भीतर टार्च जल उठा है । ये ' सूरजछाप ' टार्च अब व्यर्थ मालूम होते हैं । '' मैंने कहा , '' तुम शायद संन्यास ले रहे हो । जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है , वह इसी तरह हरामखोरी पर उतर आता है । किससे दीक्षा ले आए ? '' मेरी बात से उसे पीडा हुई । उसने कहा , '' ऐसे कठोर वचन मत बोलिए । आत्मा सबकी एक है । मेरी आत्मा को चोट पहुँचाकर

सनातन का कोरोना कनेक्शन

इन पर ध्यान दें : 👇 नमस्ते छुआछूत सोला वानप्रस्थ सूतक दाह संस्कार शाकाहार समुद्र पार न करना विदेश यात्रा के बाद पूरा एक चन्द्र पक्ष गांव से बाहर रहना घर मे आने से पहले हाँथ पैर धोना बाथरूम और टॉयलेट घर के बाहर बनवाना वैदिक स्नान की विधि और इसे कब कब करने है यह परंपरा ध्यान दें, हमारे ईश्वर के स्वास्थ्य खराब होने पर उनकी परिचर्या #यह वे चीज़े हैं जो मुझे याद आ रहीं हैं। आप बुजुर्गो से पूछेंगे तो और भी चीजे आपको मिलेंगी। यह हम भूल चुके हैं क्योंकि एन्टी बायोटिक, साबुन, और सेनिटाइजर बाजार में आ गए और औद्योगिक क्रांति को  मानवीय संसाधनों की जरूरत थी। आज हमें फिर वही परम्पराए नाम बदल बदल कर याद दिलाई जा रहीं है। #सोशल_डिस्टेंसिंग #क्लींलिनेस बुजुर्गो की कम इम्युनिटी आदि आदि। वानप्रस्थ आश्रम का उद्देश्य ही यह था कि वायरस बुजुर्गो पर जल्द प्रश्रय पा जाता है, फिर मजबूत होकर जवानों पर हमला करता है, इसलिए कमजोर इम्युनिटी के लोगो को वन भेज दिया जाता था।। निष्कर्ष : आना दुनिया को वहीं है जहां से हम चले थे। यही सनातन है। यह प्रकृति का संविधान है। #स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज