सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सनातन की जन्मना विरासत

#ब्राह्मण #क्षत्रिय #वैश्य और #शुद्र अगर अपनी विरासत को समझ ले वास्तविक चिंतन कर लें तो आज #विश्व भर की समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
अंग्रेजो ने जो वैकल्पिक वर्ण व्यवस्था बनाई है उसके अनुसार आज भी व्यवस्था चल ही रही है।
सांसद, विधायक पार्षद आज हमारे लिए जन्मना ब्राह्मणों के समान नियम बनाते है कि #कोरोना में मास्क पहनो और पीपल में पानी दो। न्याय करते थे।
#वैकल्पिक #क्षत्रिय सेना और पुलिस का कार्य देखते हैं।
#जन्मजा #वैश्य पहले #धर्मशाला #घाट #स्कूल #अस्पताल और #तालाब बनवाते थे अब #CSR देते हैं।
जन्मजा #शुद्र #नौकरी #मजदूरी #हस्तशिल्प, चाकरी करता था आज #कर्मणा शुद्र भी चाकरी या छोटा कुटीर उद्योग, किसी साहब की कंपनी में मैनेजर बन जाता है।
#समाज बदला कहां है, सिर्फ शब्द बदले है कार्य करने का तरीका बदला है।
जिस फील्ड का जो श्रेष्ठ है वह धनवान है।
बस इतना ही तो है।
पर इस #कर्मणा ने #दुनिया बिगाड़ दी।
एक जन्मना शुद्र, क्षत्रिय, वैश्य या ब्राह्मण को शिक्षा 3 साल की उम्र में घर पर उसके पिता से मिलने लगती थी, अब लड़का तो छोड़िए उसका बाप भी 20 की उम्र तक नहीं जानता की लड़का करेगा क्या?😭
ये नीचे की फोटो संस्कारों की बात है, इन #562 परिवारों ने #वल्लभ_भाई के कहते ही #राष्ट्र का #सृजन कर दिया और हम इन्हे #आताताई बताते हैं।
सेठ गंगाराम, बिरला, सेठ गोकुलदास जैसे सेठो के बनाए मंदिर, धर्मशालाएं, अस्पताल, घाट बावड़ी मिलेंगे, पर 1950 के बाद क्या किसी नव धनाढ्य या किसी पुराने धनी ने
कोई भी ऐसी इमारत या जन कल्याण कारी कार्य का मंतव्य बनाया?
#वर्णाश्रम और #मनुसंहिता को एक बार निष्पक्ष हो कर पढ़ो और समझो तो हर वर्ण के कर्तव्य देख कर आप नतमस्तक हो जाओगे।
ब्राह्मण - सर्व शक्तिमान, ब्रह्मचर्य को मानने वाला, भिक्षु जो धन संचय का अधिकारी ही नहीं था।
अब बहु स्त्री, धन और जमीन रखने के आप अधिकारी ही नहीं और भोजन भीख से मिलना है तो #पक्षपात या #भ्रष्टाचार संभव ही नहीं।

क्षत्रिय - राज्य का प्रमुख जो मरने के लिए ही पैदा हुआ, ललकारने पर सवा लाख से अकेला लड़ जाने वाला वीर।
जो मरने को पैदा हुआ वह कितनी विलासिता भोग लेगा?

वैश्य : समाज का पोषक, उसके क्षेत्र में यदि कोई भूख से परेशान होकर चोरी कर ले तो #लाला आत्महत्या कर लेते थे। समाज की सामूहिक जरूरतों का रखवाला था धर्मशाला और अन्न क्षेत्र यही चलाते थे।
वे #सुक्खी लाला (मदर इंडिया वाले) कैसे हो सकते थे?

शूद्र: राष्ट्र के संपूर्ण कारखाने, कुटीर उद्योग और सेवा (सर्विस इंडस्ट्री) इनके जिम्मे थी।
ये निर्धन दबे कुचले कैसे हो सकते थे, बिना इनके कोई #धार्मिक कार्यक्रम संभव न था, वे #तिरस्कृत कैसे हो सकते थे।

जब तक अंग्रेज (म्लेच्छ) न आए, तब तक कोई समस्या नहीं थी, तब तक किसी इतिहास की किताब में किसी वर्ण से भेदभाव की बात नहीं मिलती।।

तब किसी तरह का #क्लेश न था, प्रतिस्पर्धा वर्ण के भीतर होती थी, योग्यता की होती थी।

अंग्रेजो ने इस व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया, अब चारो वर्ण आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे है, उलझ रहे है और आपस में रोटी के लिए लड़ रहे हैं।
अब हर कोई या तो कर्मणा क्षत्रिय बन रहा है या वणिक या शुद्र।
और जो कर्मणा ब्राह्मण बन रहे हैं वे #जन्मना ब्राह्मण के समान धन संग्रह, स्वर्ण और महल छोड़ नहीं सकते, भिक्षा मांग नहीं सकते ।
तो वे करेंगे क्या?
#सर्वशक्तिमान यदि #लालची #स्वार्थी और निरंकुश हो जाए तो क्या?
वही जो हो रहा है। 😭
#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

टार्च बेचनेवाले : श्री हरिशंकर परसाई

वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा , '' कहाँ रहे ? और यह दाढी क्यों बढा रखी है ? '' उसने जवाब दिया , '' बाहर गया था । '' दाढीवाले सवाल का उसने जवाब यह दिया कि दाढी पर हाथ फेरने लगा । मैंने कहा , '' आज तुम टार्च नहीं बेच रहे हो ? '' उसने कहा , '' वह काम बंद कर दिया । अब तो आत्मा के भीतर टार्च जल उठा है । ये ' सूरजछाप ' टार्च अब व्यर्थ मालूम होते हैं । '' मैंने कहा , '' तुम शायद संन्यास ले रहे हो । जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है , वह इसी तरह हरामखोरी पर उतर आता है । किससे दीक्षा ले आए ? '' मेरी बात से उसे पीडा हुई । उसने कहा , '' ऐसे कठोर वचन मत बोलिए । आत्मा सबकी एक है । मेरी आत्मा को चोट पहुँचाकर

भारतीयता और रोमांस (आसक्त प्रेम)

प्रेम विवाह 😂 कहां है प्रेम विवाह सनातन में? कृपया बताएं... जुलाई 14, 2019 रोमांस का अंग्रेजी तर्जुमा है - A feeling of excitement and mystery of love. This is some where near to lust. The indian Love one is with liabilities, sacrifices with feeling of care & love. The word excitement and mystery has not liabilities, sacrifices with feeling of care. प्रेम का अंग्रेज़ी तर्जुमा - An intense feeling of deep affection. मैंने एक फौरी अध्यन किया भारतीय पौराणिक इतिहास का ! बड़ा अजीब लगा - समझ में नहीं आया यह है क्या ? यह बिना रोमांस की परम्परायें जीवित कैसे थी आज तक ? और आज इनके कमजोर होने और रोमांस के प्रबल होने पर भी परिवार कैसे टूट रहे हैं ? भारतीय समाज में प्रेम का अभूतपूर्व स्थान है पर रोमांस का कोई स्थान नहीं रहा ? हरण और वरण की परंपरा रही पर परिवार छोड़ कर किसी से विवाह की परंपरा नहीं रही ! हरण की हुयी स्त्री उसके परिवार की हार का सूचक थी और वरण करती हुयी स्त्री खुद अपना वर चुनती थी पर कुछ शर्तो के साथ पूरे समाज की उपस्तिथि में ! रोमांस की कुछ घटनाएं कृष्ण के पौराणिक काल में सुनने म

सनातन का कोरोना कनेक्शन

इन पर ध्यान दें : 👇 नमस्ते छुआछूत सोला वानप्रस्थ सूतक दाह संस्कार शाकाहार समुद्र पार न करना विदेश यात्रा के बाद पूरा एक चन्द्र पक्ष गांव से बाहर रहना घर मे आने से पहले हाँथ पैर धोना बाथरूम और टॉयलेट घर के बाहर बनवाना वैदिक स्नान की विधि और इसे कब कब करने है यह परंपरा ध्यान दें, हमारे ईश्वर के स्वास्थ्य खराब होने पर उनकी परिचर्या #यह वे चीज़े हैं जो मुझे याद आ रहीं हैं। आप बुजुर्गो से पूछेंगे तो और भी चीजे आपको मिलेंगी। यह हम भूल चुके हैं क्योंकि एन्टी बायोटिक, साबुन, और सेनिटाइजर बाजार में आ गए और औद्योगिक क्रांति को  मानवीय संसाधनों की जरूरत थी। आज हमें फिर वही परम्पराए नाम बदल बदल कर याद दिलाई जा रहीं है। #सोशल_डिस्टेंसिंग #क्लींलिनेस बुजुर्गो की कम इम्युनिटी आदि आदि। वानप्रस्थ आश्रम का उद्देश्य ही यह था कि वायरस बुजुर्गो पर जल्द प्रश्रय पा जाता है, फिर मजबूत होकर जवानों पर हमला करता है, इसलिए कमजोर इम्युनिटी के लोगो को वन भेज दिया जाता था।। निष्कर्ष : आना दुनिया को वहीं है जहां से हम चले थे। यही सनातन है। यह प्रकृति का संविधान है। #स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज