सही #साधक वह है जो काम, क्रोध, मद, मोह और लोभ से आजाद हो।
देखिए किन किन चीजों से आप आजाद हुए हैं।
इसका मूल मतलब होता है कि किन किन चीजों को आप छोड़ सकते है।
दुनिया की सबसे बड़ी ताकत न है और न कहते ही संघर्ष शुरू होता है और संघर्ष विजेता को ही परितोषक मिलता है।
पर क्या इस "न" से किसी को फायदा होता है?
हम्म्म - "न" सामाजिक, चारित्रिक उत्थान का मूल है।
"न" आपको प्रतीक गढ़ने का मौका देती है पर वह बुद्धिमान की "न" हो।।
जिन्होंने काम, क्रोध, मद, मोह और लोभ को "न" कहा है वे ही महान हुए हैं।
उन्होंने ही महान शासक, महान आध्यात्मिक पंथ और महान संस्कृतियां खड़ी की।
"न" हमेशा से विद्रोह का प्रतीक है पर यह विद्रोह किससे? - प्रकृति से तो यह विद्रोह नहीं हो सकता।
पर हम लड़ तो पृथ्वी से ही रहे है, हम लड़ रहे है अपने बच्चो के भविष्य से।।
#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज
वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा , '' कहाँ रहे ? और यह दाढी क्यों बढा रखी है ? '' उसने जवाब दिया , '' बाहर गया था । '' दाढीवाले सवाल का उसने जवाब यह दिया कि दाढी पर हाथ फेरने लगा । मैंने कहा , '' आज तुम टार्च नहीं बेच रहे हो ? '' उसने कहा , '' वह काम बंद कर दिया । अब तो आत्मा के भीतर टार्च जल उठा है । ये ' सूरजछाप ' टार्च अब व्यर्थ मालूम होते हैं । '' मैंने कहा , '' तुम शायद संन्यास ले रहे हो । जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है , वह इसी तरह हरामखोरी पर उतर आता है । किससे दीक्षा ले आए ? '' मेरी बात से उसे पीडा हुई । उसने कहा , '' ऐसे कठोर वचन मत बोलिए । आत्मा सबकी एक है । मेरी आत्मा को चोट पहुँचाकर
टिप्पणियाँ