#बौद्धिक संक्रमण से परेशान सत्ता, संगठन, #धर्म और #प्रजा के सामने एक बड़ा छोटा सा विषय है जिसे बंद कमरे में सुलझाना अत्यंत आवश्यक है!!
इसके बाद जून 24 से इससे बड़ी समस्या पर संज्ञान लेना होगा जो गिरते #वैश्विक चरित्र और बढ़ती #औपनिवेशिक सोच के कारण है।
खैर :
Narendra Modi जी MYogiAdityanath जी, Friends of RSS शंकराचार्य अनुशासन #गुरु_परंपरा सारे #आचार्य #महामंडलेश्वर हमारे समाज सेवी संगठन (जिन्हें हम #सनातन का पक्षधर मानते हैं) एक साथ बैठ जाएं एक बार चिंतन करें कि यह हो क्या रहा है और क्यों हो रहा है?
क्या किसी ने गलती की है, अगर की है तो उसका भोगवान कौन है?
क्या यह गलती किसी नई परंपरा, #पंथ या मत को जन्म दे रही है?
चिंतन आवश्यक है कि जातिवाद, #वर्ण_व्यवस्था, #मैकाले की शिक्षा, #गुरुकुल परंपरा, धार्मिक आदर्श, #महिला_सशक्तिकरण, कुटुंब, समाज में धन का असमान वितरण, हमारी सांस्कृतिक धार्मिक और सामाजिक जीवन जीने की पद्धति और नियम, शास्त्रोक्त ज्ञान, भोजन, जन उत्सव, वस्त्र विन्यास, रिश्ते, पारिवारिक #मर्यादाएं, सामाजिक मर्यादाएं और वैश्विक मजबूरियों (जो #संयुक्तराष्ट्र और #कॉमन_वेल्थ के कारण है) के वास्तविक कारण क्या हैं?
जिन बातों पर हमारे बीच में भ्रम है, उन #बौद्धिक #myth (झूठों) को हमारे दिमागों में स्थापित किसने किया, किस तरह किया और इसके पीछे किसका धन प्रयोग हुआ था?
यह चिंतन आवश्यक है कि हमारे भीतर हीन भावना क्यों भरी हुई है?
यह #संक्रमण काल है।।
पूरी दुनिया स्थापित व्यवस्था से प्रश्न कर रही है, उन संगठनों और विचार धाराओं का समर्थन कर रही है जो कल तक तजात्य थी।
इंटरनेट पर सब ज्ञान उपलब्ध है और हर व्यक्ति उस ज्ञान का अपने मूल स्वभाव के हिसाब से उपयोग करता है।
हर व्यक्ति इस पर चिंतन स्वलाभ (व्ययिष्टी) के आधार पर करता है, #समष्टि के हिसाब से चिंतन कीजिए, यह करने के बाद हम सभी #कालजयी प्रतिष्ठा पायेंगे अन्यथा विज्ञान आने वाले समय में #शास्त्रों का सत्य भौतिक आध्यात्मिक, सामाजिक, पर्यावरण, के हिसाब से सिद्ध कर देगा।
#गुरुजी कहते हैं आगे युद्ध की घाटी ही।
मुझे भी यह दिखता है।।
#वसुधैव_कुटुम्बकम #विश्वगुरू #सह_अस्तित्व का भाव यह धरे रह जायेंगे, क्योंकि इन सारे भाव के पीछे समष्टि का भाव ही मूल है।।
किसी पर भी कटाक्ष करना मेरा काम नहीं है...
पर हम सबका फर्ज है कि हम वैश्विक, देश की और परिवार की समस्या पर सर जोड़ कर #सर्व_कल्याण में सोचें।।
#अलख_निरंजन
#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज
टिप्पणियाँ