अगर इस चिंतन को समझना है तो पोस्ट पूरी पढ़ें और नीचे दिया वीडियो देखें।।
यह हर #सनातनी का दर्द है, हम कहीं पार्टी से बंधे होते हैं कहीं संगठन से - हम अपनी #विचारधारा और आइडियाज को वर्षो उन लोगों के संरक्षण में पालते पोसते हैं जो हमारे आदरणीय हैं और यकायक हम एक दिन पाते हैं कि हमारे आदरणीय संरक्षक और #आदर्श एकदम हमारी पाली पोसी विचारधारा से उलट विचार व्यक्त कर रहे हैं या कार्य कर रहे हैं।
तो हमे #खीज होती है, खीज #मतबल बेचैनी, असहाय होने का भाव, ऐसा गुस्सा जो फट पड़ना चाहता है पर वह निकल नहीं पा रहा।।
यह बहुत अजीब मानवीय भाव है, इस भाव के परिणाम की भविष्यवाणी करना अत्यंत कठिन है,
पर यह तय है कि इस भाव के पैदा होने से काफी नुकसान होता है, कुछ लोग #विद्रोही हो जाते हैं और कुछ #निष्क्रिय।।
और यहीं वह पेंच है जहां #अटलजी भी फंसे थे और आज मोदी भी फंसे हैं।।
विदेशी दबाव, #विधर्मी दबाव ने पाकिस्तान की यात्रा करवाई, रामालय ट्रस्ट पर काम करने मजबूर किया।
यह स्वर्गीय अटल जी पर आरोप नहीं है, मैं समझता हूं और जानता हूं उनके मन में भी यह सब करते समय वही मजबूरी भरी खीज थी जो मैने ऊपर बताई है आज उसी खीज से Narendra Modi जूझ रहे हैं।
#संविधान लिखते समय गौ हत्या को स्पष्ट निषिद्ध क्यों नहीं किया गया जबकि तब तो हम #धर्मनिरपेक्ष देश नहीं थे?
क्या मजबूरियां थी भारत की प्रथम सरकार की यह तो संसद में सिर्फ Amit Shah जी के मुखारविंद से सुनने में आनंद आएगा। 😂
सनातनी अनुशासित हैं पर #अब्राहमिक अनुशासन के समान अनुशासन हमारे #डीएनए में नहीं है, हमारा अनुशासन #शास्त्रार्थ की मांग करता है पर हमारे आदरणीय बहुत सी ऐसी बाते हम से नहीं कह सकते जिनके प्रदर्शन से वे मजबूर दिखाई देने लगते है, कभी कभी तो ये सम्माननीय लोग अपनी असहायता छिपाने के लिए छोटी छोटी बातों पर वीर बन दहाड़ने लगते हैं।
सनातनी को संतुष्ट करना है तो उसके सामने आपको सत्य रखना ही होगा।
पर #यक्ष_प्रश्न यह है की ये गंभीर और काफी हद तक गुप्त बाते हम अपने फ्लोटिंग वोटर तक कैसे पहुंचाएं, और हमारा वोटर इसे किस नजरिए से लेगा यह भी भविष्य के गर्भ में है।।
#अमित_शर्मा जी का कथन बिल्कुल सत्य है, यह #हिंदू_राष्ट्र चाहने वाले सनातनियों के लिए बड़ी मानसिक त्रासदी है।
हम क्या करें ?
1- सभी #दक्षिणपंथी मित्र शुद्ध सनातनी भाव से #राष्ट्रहित में, सनातन धर्म के सर्वोच्च #पारंपरिक धर्मगुरु #शंकराचार्य (ईसाइयत के धर्मगुरु पोप के समान) जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के पीछे खड़े होकर अपनी ही विचारधारा की प्रिय #सरकार पर तब तक दबाव बनाए जब तक वह आपकी बात सुनने मजबूर न हो जाए।।
अंतराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को साथ लेकर UNO तक हम यह दबाव बनाए की वे हमारे धर्म के पालन के लिए, हमे वैसी ही सुविधा और अधिकार प्रदान करें जैसा उन्होंने #बौद्ध #ईसाई और #मुस्लिम देशों के लिए प्रदान किए हैं।
2- हम RTI लगाएं, हम न्यायालय जाएं और सरकार से पूछे कि पिछले 75 सालो में किस किस देश ने, किस किस संगठन ने और किस किस नेता ने हमारी सरकार पर गौ हत्या के पक्ष में दबाव बनाया है?
वे कौन थे जिन्होंने 100 करोड़ सनातनियों को अपने धर्म से दूर करने का प्रयास सिर्फ इसलिए किया क्योंकि उनके निजी हित #हिंदुओ के धर्म से बड़े थे l
जनता भी तो जानें कि मेरा भारत किस अंतराष्ट्रीय दबाव में हैं और भारत इस दबाव में आया कैसे?
जो सनातन को छिन्न भिन्न करने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें हम कब उजागर करेंगे?
#मथिए
#सनातन का मूल, बुद्धि के समुद्र में होने वाला मंथन याने "शास्त्रार्थ" ही तो है।।
मीडिया उजागर करे, हर वह #अंतराष्ट्रीय नियम जिसमे सरकार उलझी हुई है।
फिर हमे जरूरत ही नहीं अपने लोगो को कुछ समझाने की।
जनता खुद तय करेगी और आपसे वह करवा लेगी जो उसे और आपको चाहिए।।
#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज
https://youtube.com/watch?v=v8s_y0ogXIM&feature=shared
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