(Economy or Earth?)
समाधान: सनातन का प्रकृति प्रेम
Are we killing Earth to save GDP?
The Sanatan Solution.
आज अति गंभीर #विषय ले आए ##छुट्टन_गुरु :
कहने लगे बताओ #स्वामी_जी विश्व की अर्थ व्यवस्था का पहिया कैसे चलेगा यदि #प्रदूषण खत्म करना है तो?
लल्लन_महाराज : प्रदूषण खत्म क्यों करना इसे कम कर लेते हैं?
इसे कोरोना काल में #तुरंत कम किया ही तो था।
छुट्टन : जितना प्रदूषण कम होगा उतना पृथ्वी का तापमान कम बढ़ेगा।
छुट्टन मतलब सब चाहते हैं कि #धरती का #बुखार थोड़ा धीरे धीरे बढ़े?
हमें #सोलर बढ़ाने चाहिए की बिजली की खपत कम करनी चाहिए या दोनो एक साथ करना चाहिए?
स्वामी_जी : दुनिया में #सत्ता का झगड़ा इसी कारण से तो है?
दुबई में मंदिर क्यों बन रहा है?
मुस्लिम दुनिया इजरायल का जवाब क्यों नहीं दे रही है?
रूस क्यों परेशान है?
चीन के उद्योग क्यों बंद करवाए जा रहे हैं?
और सबसे बड़ी बात #स्पेस x को नासा के साथ नासा की प्रयोगशाला में काम करने का मौका क्यों मिला?
दूसरे गृह में बस्ती बसाने की कोशिश क्यों?
क्या हमे विश्वास है कि पृथ्वी मर रही है?
पूरी विश्व राजनीति #पर्यावरण और #जीडीपी के बीच झूल रही थी, अब रोजगार भी एक बड़ा मुद्दा बन सकता है?
मुद्दा #व्यवसायिक #लीडर शिप का भी है, जो लीडर शिप अभी काम कर रही है वह एन केन प्रकारेण धन पैदा करने के लिए प्रशिक्षित है, इसे पर्यावरण सुधार में लाभ दिख ही नहीं सकता।
लल्लन : पर्यावरण बचाने के नियम तो हैं?
छुट्टन : वे नियम नाकाफी हैं और निज लाभ हेतु
हम उसे भी फॉलो नहीं करते।
जल #संरक्षण के लिए घरों में पानी के बचाव के लिए टैंक बनवाने वाली सरकार के दफ्तरों में सारी खुली जमीनों में पेवर लग गए हैं।
समस्या : चारित्रिक पतन की नहीं है, समस्या धन को महिमा मंडित करने की है।
मैने जीवन में कई बार गरीबों को चारित्रिक रूप से ज्यादा मजबूत पाया है।
आज प्रशासन परेशान है कि पारदर्शिता बढ़ रही है,
नेता परेशान हैं कि जनता के प्रति जवाब देही बढ़ रही है।
व्यापारी परेशान है कि कच्चे के काम में तकलीफ है,
नौजवान परेशान हैं क्योंकि नौकरी कम हो रहीं हैं।
ऐसी दर्जनों समस्याओं का सिर्फ एक समाधान है, विश्व को #सनातन के चारित्रिक, धार्मिक और आध्यात्मिक मानदंड स्वीकारने होंगे।
क्या नही करना है यह सनातनियो से ज्यादा कौन जानता है?
हमारे नियम ही ऐसे हैं।
हमे क्या करना है और कैसे करना है,
और इस करने में क्या नहीं करना है यह हमसे बेहतर कौन जानता है?
हिंदू_राष्ट्र इसलिए जरूरी नहीं क्योंकि हिन्दू बहुसंख्यक हैं, हिंदू राष्ट्र इसलिए जरूरी है क्योंकि #पृथ्वी को बचाना है, यही एक धर्म है जो प्रकृति प्रेमी है और इसके शास्त्रों में शासन से लेकर आध्यात्म तक संपूर्ण ज्ञान है।
और हिंदू राष्ट्र बनेगा कैसे?
छुट्टन :
आत्म_शोधन से, चारित्रिक निर्माण से ।।
स्वामीजी: पश्चिम को यह कौन समझाएगा? नव मानवतावादी संयुक्त राष्ट्र के लिए तो विकास का मूल ही बिजली है।
#स्वामी_सच्चिदानंदन_जी_महाराज
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